खादिमों को लाइसेंस व दरगाह अतिक्रमण पर टकराव के हालात

खादिमों को लाइसेंस व दरगाह अतिक्रमण पर टकराव के हालातखादिमों को लाइसेंस व दरगाह अतिक्रमण पर टकराव के हालात

दरगाह कमेटी का नोटिस जारी, खादिम बोले नाजिम कर रहे मनमानी

अजमेर, 2 दिसम्बर(हि.स.)। अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में इस बार सालाना उर्स से पूर्व दरगाह कमेटी और खादिमों के बीच टकराव के हालात बन रहे हैं। उर्स से पूर्व दरगाह से जुड़े खादिमों को लाइसेंस जारी करने और दरगाह परिसर से अस्थाई अतिक्रमण हटाने के मसले पर दरगाह कमेटी ने नोटिस जारी किए हैं तो खादिमों की संस्था अंजुमन ने बैठक बुलाकर नाजिम दरगाह कमेटी पर मनमानी के आरोप लगा दिए। अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने तल्ख भाषा में कहा कि दरगाह में नौकरशाही स्वीकार नहीं होगी। खादिमों ने दरगाह कमेटी को लाइसेंस वाला निर्णय वापस लेने के लिए भी चेताया अन्यथा विरोध का इरादा दर्शाया। दरगाह में ख्वाजा साहब का छह दिवसीय सालाना उर्स चांद दिखने पर बीस दिसंबर से शुरू होगा। इससे पहले 15 दिसंबर को ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर उर्स का झंडा चढ़ेगा। उर्स शुरू होने में एक पखवाड़े का समय शेष रहते उर्स में जायरीन की बढ़ती आवक व सुरक्षा मुद्दों पर जिला व पुलिस प्रशासन पूरी तरह सावचेत हो गया है। अजमेर जिला कलक्टर लोकबंधु एवं पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा ने मंगलवार को पूरे प्रशासनिक अमले के साथ दरगाह परिसर का हर एक हिस्सा देखा और जायरीन की संख्या और सुरक्षित जियारत के नजरिए से निरीक्षण कर निर्देशित किया।

उधर दरगाह कमेटी के नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने विज्ञापन जारी कर साफ तौर पर कमेटी का इरादा खादिमों को दर्शा दिया है कि बिना लाइसेंस उर्स में खादिमों को जियारत कराने की इजाजत नहीं होगी। उन्होंने विज्ञापन में स्पष्ट किया कि निकट भविष्य में लाइसेंसधारी खादिम ही जियारत करा सकेंगे। दरगाह से इतिहास में ऐसा पहली बार है जब यह व्यवस्था लागू की जा रही है। दरगाह कमेटी ने आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आगामी 5 जनवरी 2026 आवेदन की अंतिम तारीख निर्धारित की गई है।

नाजिम दरगाह ने कहा कि लाइसेंस प्रक्रिया दरगाह ख्वाजा साहब अजमेर के खादिम यानी सैयद जादगान एवं शेखजादगान के लिए शुरू की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया यह कवायद सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के आदेशों से केंद्र व राज्य सरकार, जिला प्रशासन, दरगाह सुरक्षा अंकेक्षण रिपोर्ट तथा अन्य संबंधित रिपोर्टों एवं सिफारिशों के अनुपालन में की जा रही है। उन्होंने कहा कि लाइसेंस के लिए दरगाह ख्वाजा साहब अधिनियम 1955 की धारा 11 एफ में वर्णित प्रावधानों के अनुसार ही कार्यवाही की जा रही है। एक्ट के अनुसार दरगाह से संबद्ध खादिम समुदाय के दायित्व, कर्तव्य, पहचान, मानक प्रक्रिया हित एवं सुविधाओं तथा जायरीन की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए खादिमों को लाइसेंस जारी किए जाने हैं। इसके लिए पात्र खादिम समुदाय के सदस्यों से लाइसेंस आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

लाइसेंस पत्र नियम एवं शर्तें दरगाह कमेटी को आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड की जा सकती हैं। व्यक्तिगत तौर पर कार्यालय नाजिम से प्राप्त की जा सकती है।

गौरतलब है कि इस लाइसेंस प्रक्रिया के लिए नाजिम दरगाह ने खादिमों के साथ बैठक के कई प्रयास किए किन्तु खादिम किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए। अलबत्ता मंगलवार को उन्होंने स्वयं एक बैठक आयोजित कर दरगाह के नाजिम मोहम्मद बिलाल खान पर ही मनमानी करने के आरोप लगाते हुए विरोध किए जाने का इरादा दर्शा दिया। खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि दरगाह कमेटी जिन संदूकों को अस्थाई अतिक्रमण बताकर हटाना चाहते हैं वह जायरीन के तबर्रुक रखने के काम आते हैं। उन्होंने कहा, स्वयं दरगाह कमेटी ने जगह जगह पेटियां लगाकर और दुकानें आवंटित कर अतिक्रमण कर रखा है।

75 साल में पहली बार शुरू हुई लाइसेंस प्रक्रिया

जानकारी के अनुसार दरगाह में खादिमों को लाइसेंस की प्रक्रिया 75 साल में पहली बार शुरू हुई है। इससे पहले दरगाह कमेटी के 37 नाजिम और तीन प्रशासक अपना कार्यकाल पूरा कर अथवा बीच में ही पद छोड़ कर जा चुके हैं।

कमेटी के पहले प्रशासक अब्दुल रऊफ सिद्दीकी वर्ष नौ जनवरी 1954 को लगाए गए थे। बाद में दरगाह में नाजिम लगाए जाने लगे। 2025 तक कुल 37 नाजिम नियुक्त हुए पर हर बार लाइसेंस जारी होने की चर्चा भी आगे नहीं बढ़ सकी। वर्तमान में बीएसएफ से सेवानिवृत्त मोहम्मद बिलाल खान ने इस प्रक्रिया को शुरू किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

   

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