सनातन धर्म में मंदिरों की स्थापना उस क्षेत्र की मानसिकता उजागर करता है : शंकराचार्य वासुदेवानंद

प्रयागराज, 02 दिसम्बर (हि.स.)। श्रीमज्जयोतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने मंगलवार काे आराधना महोत्सव पर कहा कि वास्तव में मंदिर का निर्माण उस क्षेत्र के लोगों की मानसिकता को प्रकट करता है। इसीलिए जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती आराधना महोत्सव में स्वामी शांतानंद सरस्वती द्वारा स्थापित कराये गये प्राचीन श्रीराम-जानकी मंदिर त्रिवेणी बांध को अपने नौ दिवसीय आराधना महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित किया है।

शंकराचार्य वासुदेवानंद ने बताया कि गुरू श्रीशंकराचार्य स्वामी शांतानंद महाराज ने अति प्राचीन श्रीराम-जानकी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, जो एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल के रूप में गंगा तट पर स्थित है। उन्होंने बताया कि अलोपीबाग में स्थित श्रीशंकराचार्य आश्रम में जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती महाराज के नाम से ही विशाल कक्ष भी स्थापित किया गया है, जहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्तगण आकर वहां आयोजित कथा एवं प्रवचन आदि का लाभ लेते हैं। शंकराचार्य ने बताया कि यहां की कथा कार्यक्रम में श्रीराम कथा एवं श्रीकृष्ण कथा एवं अन्य धार्मिक आयोजनों का सम्पादन होता है, जिसमें नये-नये विप्र बंधु कथाव्यास के रूप में अवसर प्राप्त करते हैं।

कथाव्यास श्रवणानंद महाराज अपने कथा में अपनी विद्वतापूर्ण ज्ञानगाथा से हजारों भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा का ज्ञान कराते हैं। गीत और संगीतमय श्रीकृष्ण कथा का श्रवण भक्तों को कराते हैं। धर्मग्रंथ महाभारत के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से श्रीकृष्ण कथा का रसपान अपने विशेष शैली में श्रवणानंद महाराज कराते हैं। श्रीरामचरितमानस का नवान्ह संगीतमय पारायण श्रीराम सुखदास के कृपापात्र शिष्य जयपुर निवासी श्रीराम भक्ति रसरसिक प्यारेमोहन मानस गायन प्रातः 7 बजे से 12 बजे तक करते हैं। इसी के समीप श्रीकृष्ण भगवान की कथा के पश्चात श्रीमद्रूद्राभिषेक का कार्यक्रम भी होता है।

प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी सन्यासी विनोदानंद महाराज, दण्डी सन्यासी विश्वदेवानंद महाराज, पं0 शिवार्चन उपाध्याय पूर्व प्रधानाचार्य ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय, स्वामी बंगाली बाबा, प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी, पं0 एस0पी0 त्रिपाठी, आचार्य अभिषेक मिश्र, आचार्य मनीष तिवारी, व्यास ओमनारायण, दीपक पाण्डेय, राजेश राय, जितेन्द्र ब्रह्मचारी और आचार्य ओंकार दुबे आदि भक्तगण उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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