हड़प्पा लिपि को डिकोड करने वाले मंडी के शोधकर्ता प्रो. डॉ. पुनीत गुप्ता सम्मानित

मंडी, 2 दिसंबर (हि.स.)। मंडी जिला से संबंध रखने वाले प्रसिद्ध शोधकर्ता प्रोफेसर डॉ. पुनीत गुप्ता को 5 हजार वर्ष पुरानी हड़प्पा लिपि को पूरी तरह डिकोड करने के ऐतिहासिक कार्य के लिए नई दिल्ली में सम्मानित किया गया है। जैन प्राच्यविद्या शोध संस्थान इंदौर द्वारा आयोजित पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान जैन मुनि श्री 108 प्रज्ञासागर जी महाराज ने डॉ. गुप्ता को यह सम्मान प्रदान किया।

प्रो. डॉ. पुनीत गुप्ता ने हड़प्पा सभ्यता के सभी 4000 मौजूदा अभिलेखों की पहली बार पूर्ण डिकोडिंग की है। उनके शोध में हड़प्पा की लिपि के 700 से अधिक चिह्नों को ध्वन्यात्मक मानों के साथ व्यवस्थित ढंग से समझाया गया है। उनका कहना है कि पहली बार इन सभी चिन्हों का विस्तृत और वैज्ञानिक मानचित्रण किया गया है और अब हड़प्पा की यह लिपि पढ़ने और समझने योग्य बन गई है।

उन्होंने एक अभिनव डिजिटल रंग-कोडित प्रणाली के माध्यम से अक्षर-दर-अक्षर और शब्द-दर-शब्द डिकोडिंग का काम पूरा किया। यह कार्य अनुमानों या परिकल्पनाओं पर आधारित न होकर वैज्ञानिक पद्धति और व्यवस्थित ध्वन्यात्मक अध्ययन पर आधारित है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि हड़प्पा लिपि के विभिन्न चिह्न मानव जबड़े, जीभ और ध्वनि-उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों की जैविक समानता को दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि हड़प्पा भाषा एक बाय-कैमरल अबुगिडा प्रणाली ‘बा.अ.फ सिस्टम’ पर आधारित है, जिसमें प्रत्येक विशिष्ट उच्चारण के लिए दो स्वतंत्र और गैर-संयुक्त चिह्न निर्धारित हैं।

प्रो. गुप्ता के अनुसार उनका हड़प्पा यूनिकोड प्रस्ताव एक मानकीकृत डिजिटल फ़ॉन्ट बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हड़प्पा लिपि को यूनिकोड में एकीकृत कर दुनिया भर में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह उपलब्धि प्राचीन भारतीय सभ्यता के इतिहास और पुरातत्व के अध्ययन में एक मील का पत्थर मानी जा रही है, क्योंकि यह हड़प्पा सभ्यता की लंबे समय से अनसुलझी पहेली का समाधान प्रस्तुत करती है।

मूल रूप से मंडी जिला से संबंध रखने वाले डॉ. पुनीत गुप्ता एमबीबीएस, एमडी, डीएनबी, डीएम और एमबीए डिग्रीधारी हैं तथा वर्तमान में एआईएमएस फरीदाबाद में कैंसर विभाग के चेयरमैन और एमवीएन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं

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body{font-family:Arial,sans-serif;font-size:10pt;}.cf0{font-family:Nirmala UI,sans-serif;font-size:11pt;}.cf1{font-family:Consolas;font-size:11pt;}.pf0{}कुंजी प्रदान करता है। अब एक ही कंप्यूटर की-बोर्ड के द्वारा हड़प्पा की ब्राह्मी, अशोक-ब्राह्मी, कुषाण-ब्राह्मी, प्राकृत, पाली, गुप्ता-ब्राह्मी, संस्कृत, तमिल-ब्राह्मी, श्रीलंका-ब्राह्मी, हिंदी, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और अतीत व वर्तमान की सभी विशेषकर मात्रा भारतीय लिपियों को लिखने में मदद कर सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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