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काठमांडू, 12 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री केपी ओली का संसद की बैठक न बुलाकर एक के बाद एक अध्यादेश से शासन चलाने को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में विरोध शुरू हो गया है। ओली सरकार को समर्थन करने वाली पार्टी नेपाली कांग्रेस के ही कई नेताओं ने एक साथ कई अध्यादेश लाने के सरकार के कदम का विरोध किया है।
सरकार का विरोध करने वालों में पार्टी अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा के निकट माने जाने वाले नेता ही शामिल हैं। देउवा के निकट माने जाने वाले पूर्व विदेश मंत्री एनपी साउद ने ओली के लगातार अध्यादेश लाने के फैसले से गठबंधन की नींव में ही दरार आने की बात कही है।
नेपालगंज में कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सांसद एनपी साउद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था में विश्वास करने वाली पार्टी है। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ओली संसदीय व्यवस्था को किनारे रखते हुए लगातार अध्यादेश के मार्फत शासन कर रहे हैं, उससे गठबंधन को लेकर पुनर्विचार करने का समय आ गया है।
इसी तरह देउवा के निकट एक अन्य सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता अर्जुन नरसिंह केसी ने कहा कि एमाले पार्टी और प्रधानमंत्री ओली गठबंधन धर्म के विपरीत शासन चलाने में मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से संसद में लाए जाने वाले विधेयक को अध्यादेश के द्वारा लाया जा रहा है, इसके पीछे इनकी नियत सही नहीं है। केसी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को ओली के साथ अपने गठबंधन को लेकर गंभीर समीक्षा करने की आवश्यकता है।
उधर, पिछले कुछ दिनों से लंदन में रहे देउवा के विरोधी गुट के नेता शेखर कोइराला ने वहां आयोजित पार्टी समर्थकों के कार्यक्रम में कहा कि कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन इस समय वह ओली को समर्थन कर सरकार चला रही है जो कि दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा कि ओली जिस तरह से अपनी मनमानी चल रहे हैं, उससे सबसे अधिक घाटा नेपाली कांग्रेस की नीति और विचारधारा को हो रही है।
शेखर कोइराला ने मांग की है कि ओली की मनमानी रोकने के लिए और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा संसदीय प्रणाली को बचाने के लिए तत्काल ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का कठोर निर्णय करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि वो इस बारे में पार्टी अध्यक्ष देउवा से संपर्क में हैं और लगातार उन पर दबाव बना रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास