राजस्थान के 6 आकांक्षी स्टेशनों को किया जा रहा है विकसित

काेटा, 5 दिसंबर (हि.स.)। रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे पर रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए 'अमृत भारत स्टेशन योजना' शुरू की है। यह योजना दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना करती है।

इसमें स्टेशन सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, आवश्यकतानुसार लिफ्ट/एस्केलेटर, प्लेटफॉर्म की सतह और प्लेटफॉर्म पर कवर, साफ-सफाई, मुफ्त वाई-फाई जैसी सुविधाओं में सुधार के लिए मास्टर प्लान तैयार करना और चरणों में उनका कार्यान्वयन शामिल है। प्रत्येक स्टेशन पर आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 'एक स्टेशन एक उत्पाद' जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क, बेहतर यात्री सूचना प्रणाली, कार्यकारी लाउंज, व्यावसायिक बैठकों के लिए नामांकित स्थान, भूनिर्माण आदि शामिल है।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक/जन सम्पर्क अधिकारी, कोटा राेहित मालवीय के अनुसार इस योजना में भवन में सुधार, शहर के दोनों किनारों को जोड़ते हुए स्टेशन को एकीकृत करना, मल्टीमॉडल एकीकरण, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं, हरित और पर्यावरण अनुकूल समाधान, आवश्यकता के अनुसार गिट्टी रहित ट्रैक आदि का प्रावधान, चरणबद्धता और व्यवहार्यता और सिटी सेंटर के रूप में विकसित करना शामिल है।

भारतीय रेलवे पर इस योजना के तहत अब तक 1337 स्टेशनों की पहचान की गई है, जिनमें आकांक्षी जिलों में आने वाले 157 स्टेशन शामिल हैं। अमृत ​​भारत स्टेशन योजना के तहत विकास के लिए पहचाने गए स्टेशनों के नाम जो आकांक्षी जिलों में स्थित हैं, राजस्थान के स्टेशन निम्न हैं:

आबू रोड, बारां, छबड़ा गुगोर, हिंडौन सिटी, रामदेवरा एवं महावीर जी।

इसके अलावा, भारतीय रेलवे पर स्टेशनों का उन्नयन/विकास/पुनर्विकास एक सतत और निरंतर प्रक्रिया है और इस संबंध में कार्य आवश्यकता के अनुसार, परस्पर प्राथमिकता और धन की उपलब्धता के आधार पर किए जाते हैं। हालाँकि, कार्यों को मंजूरी देते और निष्पादित करते समय स्टेशनों के उन्नयन/विकास/पुनर्विकास के लिए निचली श्रेणी के स्टेशनों की तुलना में उच्च श्रेणी के स्टेशनों को प्राथमिकता दी जाती है।

रेलवे परियोजनाओं का सर्वेक्षण/मंजूरी/निष्पादन क्षेत्रीय रेलवे के अनुसार किया जाता है, न कि राज्य-वार क्योंकि रेलवे की परियोजनाएं राज्य की सीमाओं के पार तक फैली होती हैं। रेलवे परियोजनाओं को लाभप्रदता, यातायात अनुमान, अंतिम कनेक्टिविटी, वैकल्पिक मार्ग, भीड़भाड़/संतृप्त लाइनों के विस्तार, राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, संसद सदस्यों, अन्य जन प्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई मांगों, रेलवे के स्वयं के परिचालन आवश्यकता, सामाजिक-आर्थिक विचार आदि के आधार पर मंजूरी दी जाती है। चालू परियोजनाओं की प्रगति धन की समग्र उपलब्धता पर निर्भर करती हैं।

01.04.2024 तक भारतीय रेलवे में, कुल 44,488 किलोमीटर लंबाई की 488 रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं (187 नई लाइन, 40 गेज परिवर्तन और 261 दोहरीकरण), जिनकी लागत लगभग 7.44 लाख करोड़ रुपये है, योजना/अनुमोदन/निर्माण चरण में हैं, जिनमें से , 12,045 किलोमीटर लंबाई की रेल परियोजनाएँ पूर्ण कर ली गई है और लगभग 2.92 लाख करोड़ रुपये का व्यय मार्च, 2024 तक खर्च किया गया है।

इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 और चालू वित्तीय वर्ष 2024-25. में आकांक्षी जिलों सहित भारतीय रेलवे में कुल 60,673 किलोमीटर लंबाई के 894 सर्वेक्षण (287 नई लाइन, 14 गेज परिवर्तन और 593 दोहरीकरण) स्वीकृत किए गए हैं।

यह उत्तर रेल मंत्री ने लोकसभा में आकांक्षी जिलों में रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण/सुदृढीकरण के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव

   

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