अगले पांच वर्षों में देश में 10 नए आयुर्वेद संस्थान खोले जाएंगेः प्रतापराव जाधव
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- Oct 09, 2024
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (हि.स.)। केद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के 8वें स्थापना दिवस के मौके पर केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने कहा कि अगले पांच वर्षों में देश में 10 नए आयुर्वेद संस्थान खोले जाएंगे। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है।
बुधवार को एआईआईए में उन्होंने कहा कि आज आयुष मंत्रालय के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि राष्ट्रपति ने हमारे संस्थान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का दौरा किया। आयुर्वेद एक बहुत प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है और यह विश्व में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है। आयुष मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रामाणिक और किफायती आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 'आयुष औषधि केंद्र' की शुरुआत की है। ऐसे ही एक आयुष औषधि केन्द्र की शुरुआत एआईआईए में की गई है।
उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते जीवन में संतुलित जीवनशैली बनाए रखने और योग का अभ्यास करने का महत्व अत्यधिक है। आयुर्वेद, अपनी समृद्ध धरोहर और समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण के साथ, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण प्राप्त करने के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। पर्यावरणीय क्षरण की चुनौती के सामने, आयुर्वेद समग्र समाधान प्रदान करता है जो न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है बल्कि हमारे पर्यावरण की भलाई को भी सुनिश्चित करता है।
इस अवसर पर मौजूद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 में अपनी स्थापना के बाद से, एआईआईए ने विश्वभर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में नई उम्मीदें जगाई हैं। अब तक एआईआईए ने विभिन्न विशिष्टताओं के माध्यम से 28 लाख से अधिक लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके समुदाय के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाला है।
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की सफलता देश के स्वास्थ्य और कल्याण क्षेत्र में एक अमूल्य योगदान है और यह सभी के लिए एक मानक स्थापित करता है। एआईआईए केवल मरीजों के उपचार तक सीमित नहीं है बल्कि यह पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में जागरूकता, अनुसंधान और सफलता के लिए भी कार्य करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी