राजस्‍थान केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का 17वां स्‍थापना दिवस मनाया

अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए विद्यार्थी वैश्विक नागरिक बनें— प्रो डी पी सिंहअपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए विद्यार्थी वैश्विक नागरिक बनें— प्रो डी पी सिंह

अजमेर, 3 मार्च(हि.स.)। राजस्‍थान केंद्रीय विश्‍वविद्यालय ने 3 मार्च, साेमवार को अपना सत्रहवां स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंह मुख्य अतिथि रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने की।

प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नति इसके नेतृत्व और सदस्यों की दूरदृष्टि का परिणाम है। उन्होंने विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया और भारत के विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने में शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने परिसर की स्वच्छता, हरियाली, सौर ऊर्जा और जल संरक्षण उपायों की सराहना की।

कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने बताया कि राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय को 2023 में नैक द्वारा ए प्लस प्लस ग्रेड और यूजीसी द्वारा कैटेगरी-1 विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। फार्मेसी विभाग को एनआईआरएफ रैंकिंग में 29वां स्थान प्राप्त हुआ। 2009 में केवल दो पाठ्यक्रमों के साथ स्थापित यह विश्वविद्यालय अब 13 स्कूलों, 35 विभागों और 62 कार्यक्रमों तक विस्तारित हो चुका है। वर्तमान में यहाँ 2972 विद्यार्थी, 200 संकाय सदस्य और 186 गैर-शैक्षणिक कर्मचारी हैं।

इस अवसर पर राजस्थान से पद्मश्री के लिए नामांकित बेगम बतूल और शिव किशन बिस्सा को जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही, पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार पुजारी को भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता पुरस्कार डॉ. सुब्रत पांडा, डॉ. निधि पारीक और डॉ. कृष्ण मोहबे को दिया गया। सांस्कृतिक व खेल महोत्सव सृजन की विजेता टीमों को भी सम्मानित किया गया। समारोह का समापन कुलसचिव अमरदीप शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

   

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