जिओ व एयरटेल के मोबाइल टॉवरों से उपकरण चोरी करने वाले 25-25 हजार के इनामी दो आरोपी गिरफ्तार

25 लाख का चोरी का माल बरामद

गाजियाबाद, 27 जनवरी (हि.स.)। क्राइम ब्रान्च पुलिस ने सोमवार को मोबाइल टावरों के उपकरण चोरी करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के फरार दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। उनके कब्जे से चोरी का करीब 25 लाख रूपये का माल बरामद हुआ है।

एडीसीपी (क्राइम) सच्चिदानंद ने बताया कि जिओ व एयरटेल कम्पनी के मोबाइल टावरों से आरआर यूनिट, बैट्री व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाईस चोरी करने वाले गिरोह के 07 सदस्यों को पूर्व में थाना वेवसिटी गाजियाबाद क्षेत्र से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था जिनके कब्जे से भारी मात्रा में आरआरयू, बीबीयू व अन्य उपकरण व चोरी करने में प्रयुक्त गाडियां बरामद हुई थी। यह गिरोह गाजियाबाद, दिल्ली एन0सी0आर क्षेत्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, असम, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब व मध्य प्रदेश में जिओ व एयरटेल कम्पनी के मोबाइल टावरों से आर0आर0 यूनिट, बैट्री व अन्य इलैक्ट्रानिक डिवाईस चोरी कर उसे भारी दामों मे विदेशों में बेचते थे। सोमवार को अन्तर्राज्यीय गिरोह के सक्रिय सदस्य तथा थाना वेव सिटी से फरार आरोपी कासिम व गोल्डी उर्फ फरहान को थाना वेवसिटी क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।

पूछताछ में आरोपी कासिम ने बताया कि अपने पिता की प्लास्टिक के सामान (बाल्टी, टब इत्यादि) बेचने की दुकान पर काम करता था । इसी बीच उसकी मुलाकात हिण्डन विहार के रहने वाले फरमान से हुई। जिसने उसे मोबाइल टावरों के आरआऱयू, बीबीयू व अन्य उपकरणों के बारे में बताया कि इन उपकरणों को चोरी करके बेचने में काफी मुनाफा होता है । फरमान ने कासिम को गोल्डी उर्फ फरहान, साहिल, कय्यूम, राहुल, जाकिर, जावेद व अनस से मिलवाया जो मोबाइल टावरों से आरआरयू व अन्य इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों की चोरी करते थे । गोल्डी उर्फ फरहान ने पूछने पर बताया कि उसने 12वीं तक पढाई करने के बाद पढाई छोड़ दी थी और लकडी के फर्नीचर बनाने का काम करने लगा था। करीब 02 वर्षों से काम नहीं मिलने से पैसों की तंगी होने से काफी परेशान था। तभी उसकी मुलाकात हिण्डन विहार निवासी फरमान से हुई । इस गिरोह से जुड़ गया।

हम लोग अपने साथियों के साथ मोबाइल टावरों पर चढुकर हाईड्रोलिक कटर से आरआरयू के केबिलों को काटकर आरआरयू व बीबीयू उतारकर चोरी करने लगे । चोरी का माल लेकर उसे सुरक्षित तरीके से इरशाद व वसीम को देते थे जिसमें एक आरआरयू की चोरी में हर एक को 10-15 हजार रुपये का फायदा होता था ।

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