राज्य में लाइट गेज स्टील फ्रेम टेक्नोलॉजी के उपयोग से 607 आंगनबाड़ियों-नंदघरों का होगा निर्माण 

गांधीनगर सचिवालय के स्वर्णिम संकुल नर्मदा खंड में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोग।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर से निर्माण कार्य का डिजिटल शुभारंभ कराया

गांधीनगर, 22 जनवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने राज्य सरकार के उपक्रम गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) और उसकी समूह कंपनियों ने निगमित-सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत निर्मित किए जाने वाले 607 आंगनबाड़ी केन्द्रों-नंदघरों के निर्माण कार्य का बुधवार को गांधीनगर से ई-शुभारंभ कराया।इनका निर्माण जीएसपीसी महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समन्वय करते हुए लाइट गेज स्टील फ्रेम (एलजीएसएफ) टेक्नोलॉजी के उपयोग से किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब आंगनबाड़ी को नंदघर तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बहनों को माता यशोदा कहा है, तब आंगनबाड़ी बहनें केन्द्राें में आने वाले बच्चे के पालन-पोषण में यशोदा मां की तरह कर्तव्य भाव से सेवारत हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे को आंगनबाड़ी में नियमित आने की प्रेरणा प्रदान करने वाले प्रोत्साहक वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए। देश जब 2047 में स्वतंत्रता प्राप्त की शताब्दी मना रहा होगा, तब हाल में आंगनबाड़ियों में अभ्यास कर रहे बच्चे युवावस्था में पहुंच चुके होंगे।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने युवाशक्ति में राष्ट्रहित उजागर करने वाले संस्कारों का बालपन से ही सिंचन करने तथा भावी पीढ़ी के उम्दा पालन-पोषण का कर्तव्य पॉजिटिव-सकारात्मक दृष्टिकोण से निभाकर समाज हित के लिए प्राप्त हुए अवसर को सार्थक करने का प्रेरक आह्वान किया। उन्होंने जीएसपीसी के इस समाज हितकारी दृष्टिकोण की प्रशंसा की और कहा कि राज्य सरकार अत्याधुनिक तथा सुविधापूर्ण एवं गुणवत्तायुक्त आंगनबाड़ियों के निर्माण के लिए पर्याप्त पूंजी देने को तत्पर है।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं का विस्तृत वर्णन करते हुए महिला एवं बाल कल्याण मंत्री भानुबेन बाबरिया ने कहा कि हाल में राज्य में लगभग 53 हजार आंगनबाड़ियां कार्यरत हैं, जिनमें 45 लाख से अधिक बाल, महिला एवं स्तनपान कराने वाली महिला लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है। गुणवत्तायुक्त पोषण तथा शिक्षा देकर हम ‘विकसित गुजरात’ से ‘विकसित भारत’ का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि जीएसपीसी व महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने इन नंदघरों के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत एलजीएसएफ टेक्नोलॉजी का छह महीनों के शोध तथा विचार-परामर्श के बाद चयन किया है। इस अद्यतन टेक्नोलॉजी से भूकंप, सीलन, आग जैसी विभिन्न परिस्थितियों का सामना कर सकने में सक्षम नंदघर केवल 60 दिनों में ही बनाए जा सकते हैं।

जीएसपीसी के प्रबंध निदेशक मिलिंद तोरवणे ने इस अवसर पर पुराने व जर्जर आंगनबाड़ी केन्द्रों को नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से अत्याधुनिक नंदघर बनाने तथा उन्हें सभी सुविधाओं से सुसज्ज करने के संपूर्ण कार्य की रूपरेखा दी। आयोजन में वित्त एवं ऊर्जा मंत्री कनुभाई देसाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव राकेश शंकर, एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) आयुक्त रणजीत कुमार सिंह, ऊर्जा एवं पेट्रोरसायन विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. जे. हैदर, महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक, जीएसपीसी तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, कर्मचारी तथा आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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