नैनीताल, 08 जनवरी (हि.स.)। नैनीताल जिले के रामनगर वन प्रभाग के कोटाबाग ब्लॉक के कोटा क्षेत्र में बाघ बताए जा रहे किसी हिंसक वन्य जीव का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बताया गया है कि यहां बीते देर शाम बाघ ने एक 48 वर्षीय महिला शांति देवी को हमला कर अपना शिकार बना लिया। इस घटना के बाद से क्षेत्र में भय का माहौल है, और ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शांति देवी प्रतिदिन की तरह अपने घर के पास ही कोसी वन क्षेत्र में अन्य महिलाओं के साथ जानवरों के लिए चारा लेने गई थीं। शाम को अन्य महिलाएं तो घर लौट आईं, लेकिन वह नहीं लौटी।
वन क्षेत्राधिकारी रमेश चंद्र ध्यानी ने बताया कि शांति देवी 02 वर्ष पूर्व भी जंगल में 03 दिन गायब रही थी, और जीवित मिली थी। इसलिए परिजनों ने भी देर से सूचना दी। तलाश करने पर पर जंगल में किसी हिंसक वन्य जीव का शिकार हुई, मृत अवस्था में मिली।
डीएफओ राहुल और वन क्षेत्राधिकारी रमेश चंद्र ध्यानी ने गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। ग्राम प्रधान प्रीति चौरसिया ने बताया कि बाघ का आतंक लंबे समय से जारी है। दो दिनों में क्षेत्र में बाघ ने दो मवेशियों पर भी हमला किया था। आरोप लगाया कि ग्रामीणों की शिकायतों के बावजूद वन विभाग ने अब तक बाघ को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ग्रामीणों के अनुसार हमला एक बाघ ने किया जो अपने बच्चों के साथ क्षेत्र में घूम रहा है।
वन क्षेत्राधिकारी रमेश चंद्र ध्यानी ने बताया कि महिला का शिकार करने वाले हिंसक वन्य जीव को पकड़ने के लिए पिंजरा और कैमरा ट्रैप लगाए हैं। विभाग की टीम मौके पर डेरा डाले हुए है और उसकी पहचान व उसे आदमखोर घोषित करने की मांग की जा रही है। बताया कि क्षेत्र में बाघ एवं गुलदार दोनों सक्रिय हैं। खासकर गुलदार यहाँ कुत्तों को शिकार बनाते हैं। शांति देवी के परिवार में उनके पति और दो पुत्र हैं। उनके पति खेती का कार्य करते हैं। लगातार क्षेत्र में बढ़ रही वन्यजीव और मानव के बीच संघर्ष की घटनाएं घटनाओं से ग्रामीण भयभीत हैं और जंगल के आसपास के इलाकों में जाने से बच रहे हैं। ग्रामीणों ने घटना के बाद बाघ को तुरंत पकड़ने और क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। इससे स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। ग्रामीणों की मांग है कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी