चौरी चौरा क्रांति के नायक शहीद अब्दुल्लाह अंसारी के नाम हुआ शानदार मुशायरा

गोरखपुर, 4 फ़रवरी (हि.स.)। चौरी चौरा आंदोलन की वर्षगांठ पर अंसार अदबी सोसाइटी, गोरखपुर के तत्वावधान में एक भव्य मुशायरे का आयोजन किया गया। यह आयोजन समाजवादी पार्टी के महानगर उपाध्यक्ष इमरान दानिश के दौलत कदे पर हुआ, जिसमें शहर की जानी-मानी अदबी और सामाजिक हस्तियों ने शिरकत की। इस आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर सरवत जमाल ने की, जबकि संचालन हाफिज नासिरुद्दीन नासिर ने किया। कार्यक्रम के कन्वीनर असरार उल हक और कोऑर्डिनेटर इमरान दानिश ने सभी मेहमानों का माला पहनाकर स्वागत किया।

इस मौके पर असरार उल हक ने कहा, चौरी चौरा क्रांति के नायक शहीद अब्दुल्लाह अंसारी और उनके सैकड़ों साथियों की कुर्बानियों के बिना आजादी का इतिहास अधूरा है। हम उन्हें याद कर अपनी नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके बाद मुशायरे का दौर शुरू हुआ, जिसमें शहर के कई मशहूर शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सरवत जमाल ने पढ़ा—

गुलाम कदमों तले पड़ा था पर उसका बेटा,

उबल पड़ा न, समझ है थोड़ा, जवान है ना!

हाफिज नासिरुद्दीन अंसारी ने अपने अशआर में कहा—

ज़मीने हिन्द को खूने जिगर देकर संवारा है,

किताब-ए-दिल का उनवां थे शहीद अब्दुल्लाह अंसारी।

दीदार बस्तवी ने श्रोताओं को प्रभावित किया—

आखिरी बार मिला है तो ज़रा हंस कर मिल,

फिर ये डिंपल तेरे गालों में नहीं आएँगे।

बिस्मिल नूरी ने अपने कलाम से जज़्बा-ए-ईसार को बयां किया—

इंसान यूं है जज़्बा-ए-ईसार के बगैर,

जैसे कोई नियाम हो तलवार के बगैर।

सिद्दीक मजाज़ ने अपनी शायरी से समाज की हकीकत बयां की—

सभी को नाज़ रहा अपनी खुश-बयानी पर,

मगर असर तो किसी की ज़ुबान में न हुआ।

बहार गोरखपुरी ने अपने अंदाज में कहा—

अब ज़माना पुराना आ गया,

चिट्ठियों का ज़माना आ गया।

शाकिर अली शाकिर ने शहीदों को इस तरह श्रद्धांजलि दी—

शहादत की मिला करती है खुशबू,

हवा आती है जब मैसूर होकर।

वसीम मजहर ने समाज की हकीकत बयान की—

हम कभी इस तरह मंज़िल पर पहुंच सकते नहीं,

हम वफादारी निभाएं, आप मक्कारी करो।

अब्दुल्लाह जामी ने अपने कलाम में इबादत का संदेश दिया—

अपने अल्लाह से जो कहना है,

अपने हाथों को तुम उठा के कहो।

इस यादगार आयोजन में शहर के प्रमुख बुद्धिजीवी और समाजसेवी भी मौजूद रहे। मेहमानों में सैयद अफराहीम, डॉक्टर ताहिर अली सब्जपोश, अरमानउल्लाह अंसारी एडवोकेट, डॉक्टर अशफाक उमर, अरशद जमाल सामानी, सैयद वलीउल इकबाल, काशिफ अली और सईद अहमद प्रमुख रूप से शामिल रहे। कार्यक्रम के समापन पर कोऑर्डिनेटर इमरान दानिश ने सभी मेहमानों और शायरों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान मोहम्मद शोएब, मोहम्मद अहमद, मोहम्मद रेहान, मारूफ आदि भी मौजूद रहे। यह मुशायरा शहीद अब्दुल्लाह अंसारी की कुर्बानियों को याद करते हुए देशभक्ति और अदब की अनूठी मिसाल बना, जिसे श्रोताओं ने देर तक सराहा।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

   

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