नारी शक्ति संगठन ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रयासों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
- Admin Admin
- Nov 07, 2024
जम्मू, 7 नवंबर (हि.स.)। नारी शक्ति संगठन (एनएसएस) जो एक प्रमुख महिला अधिकार संगठन है ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रयासों का आज कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किया। संगठन ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की निंदा की और इसे महिलाओं के अधिकारों, शरणार्थी कल्याण और जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि समाज समुदायों के उत्थान के लिए एक झटका बताया।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया कि वे अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के कारण पहले से प्राप्त अधिकारों और सुरक्षा को खत्म करने के रूप में देखते हैं। एनएसएस नेताओं ने तर्क दिया कि अनुच्छेद लैंगिक समानता के खिलाफ है। यह उनके उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकार के खिलाफ है। यह महिलाओं के स्वामित्व और प्रतिनिधित्व के अधिकार को खतरे में डालता है और संभावित रूप से नष्ट कर देता है।
संगठन सचिव भावना स्लाथिया व उपप्रधान डा. विजय लक्ष्मी ने गीता भवन परेड में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि नारी शक्ति संगठन इस कदम का कड़ा विरोध करता है। यह महिलाओं के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। हम प्रगतिशील, सुरक्षात्मक प्रावधानों को एकरूपता के नाम पर खत्म किए जाने तक चुप नहीं बैठेंगे। महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ, इस निरस्तीकरण ने जम्मू-कश्मीर में शरणार्थियों और वाल्मीकि समाज समुदाय के लिए नई अनिश्चितताएँ पैदा कर दी हैं। वाल्मीकि समाज, सफाई कर्मचारियों का एक समुदाय है जो पीढ़ियों से इस क्षेत्र में रहता है। पहले अनुच्छेद 370 के कारण उन्हें कोई अधिकार नहीं दिए गए थे। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद वाल्मीकि परिवार अपने बच्चों के लिए आवास और शिक्षा सुरक्षित करने में सक्षम हो गए। वे अब सम्मान और समान अधिकारों के साथ रह रहे थे। इसके अलावा, निरस्तीकरण क्षेत्र की विविध शरणार्थी आबादी की अनूठी जरूरतों पर विचार किए बिना नीतियों को मानकीकृत करके शरणार्थियों के अधिकारों को कमजोर करता है। दशकों से जम्मू और कश्मीर में शरणार्थियों को अनुच्छेद 370 के कारण उपेक्षित किया गया था जिसने उन्हें अपने जीवन को फिर से बनाने में मदद की। एनएसएस और अन्य कार्यकर्ताओं को डर है कि इस अनुच्छेद के निरस्त होने से भेदभाव, आर्थिक अस्थिरता और सामाजिक भेदभाव में वृद्धि होगी। नारी शक्ति संगठन नीति निर्माताओं और सरकार से अपील करता है कि वे लोगों को गुमराह न करें और महिलाओं, शरणार्थियों और वाल्मीकि समाज के अधिकारों के साथ खिलवाड़ न करें।
भावना स्लैथिया व उपप्रधान डा. विजय लक्ष्मी ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर में हर महिला, शरणार्थी और वाल्मीकि समाज के सदस्यों को वह सुरक्षा और समानता मिलनी चाहिए जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने कहा कि हम दशकों की प्रगति से समझौता करने वाले प्रतिगामी निर्णयों को स्वीकार नहीं करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह