साइबर पुलिस कश्मीर का बड़ा खुलासा: घाटी में साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल हो रहे 7200 म्यूल बैंक अकाउंट्स का भंडाफोड़

जम्मू,, 6 अप्रैल (हि.स.)। साइबर पुलिस स्टेशन, कश्मीर ज़ोन, श्रीनगर ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए घाटी में साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों में इस्तेमाल हो रहे म्यूल बैंक खातों के एक व्यापक और संगठित नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है।

क्या होता है म्यूल अकाउंट? :-

म्यूल अकाउंट वह बैंक खाता होता है जिसे किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से धन प्राप्त करने और ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, अक्सर कुछ कमीशन के बदले। इन खातों को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे टेलीग्राम और फेसबुक के माध्यम से ढूंढा जाता है और इन्हें बाहरी राज्यों या विदेशी साइबर अपराधी रिमोटली नियंत्रित करते हैं।

कैसे होता है अपराध? :-

इन खातों को फर्जी निवेश वेबसाइट, ऑफशोर सट्टेबाज़ी पोर्टल, और धोखाधड़ी वाले स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से पीड़ितों का पैसा एकत्र करने में इस्तेमाल किया जाता है।

पैसा आने के साथ ही दूसरे खातों में ट्रांसफर या क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता है ताकि ट्रांजैक्शन ट्रेस न हो सके।

कई बैंक की बल्क पेआउट फैसिलिटी का दुरुपयोग करके यह धनराशि तुरंत विभिन्न खातों में भेज दी जाती है।

इन खातों की अवधि आमतौर पर एक सप्ताह से भी कम होती है, लेकिन इस दौरान करोड़ों रुपये का लेनदेन कर लिया जाता है।

स्थानीय सरगनाओं की भूमिका:-

साइबर पुलिस को यह भी पता चला है कि घाटी में कुछ स्थानीय सरगना इस नेटवर्क को मैनेज कर रहे हैं। ये लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कमीशन का लालच देकर उनके बैंक खाते, कंपनी रजिस्ट्रेशन या उद्यम आधार प्रमाणपत्र किराए पर लेते हैं।

अब तक की कार्रवाई:-

कुल 4 एफआईआर दर्ज, और कई पर जांच जारी

21 व्यक्तियों के खिलाफ निवारक कार्रवाई, जिनमें से 19 श्रीनगर से

चिन्हित हॉटस्पॉट क्षेत्र:-

श्रीनगर के मेहजूर नगर, नटीपोरा, नौगाम, लासजन, पदशाहीबाग, नवहट्टा, खानयार, रैनावाड़ी, सौरा, बटमालू, नूरबाग, क़मरवारी, परिमपोरा, मुझगुंड, बेमिना आदि।

इसके अलावा, गांदरबल, कंगन, सुंबल, बांदीपोरा, बारामूला, पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम और शोपियां से भी ऐसी गतिविधियों की पुष्टि हुई है।

साइबर पुलिस की अपील:-

साइबर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने बैंक अकाउंट, कंपनी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या उद्यम आधार किसी के साथ भी न बेचें और न किराए पर दें। ऐसा करना गंभीर आपराधिक कृत्य है और इसमें लिप्त पाए जाने पर संगठित अपराध और साइबर ठगी के तहत गिरफ्तारी हो सकती है।

बैंकों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अपने सिस्टम में सख्त निगरानी और चेकिंग सिस्टम लागू करें ताकि ऐसे अवैध लेन-देन को रोका जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता

   

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