काशी और तमिलनाडु के बीच आपसी सहयोग से विकास के नए रास्ते खुलेंगे
- Admin Admin
- Feb 19, 2025
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-काशी तमिल संगमम में काशी और तमिलनाडु के उद्यमियों ने साझा किए विचार, लघु उद्यमियों और व्यवसायिक पेशेवरों के बीच सहयोग पर बल
वाराणसी, 19 फरवरी (हि.स.)। काशी तमिल संगमम 3.0 के पांचवें दिन बुधवार को तमिल और काशी के उद्यमियों और व्यवसायिक पेशेवरों के बीच व्यावसायिक सहयोग और नये उद्योग लगाने को लेकर गहन संवाद हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में उद्यमियों और पेशेवरों के लिए आयोजित अकादमिक सत्र में आपसी सहयोग पर खासा जोर दिया गया। उद्यमियों और पेशेवरों ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच आपसी सहयोग से विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
सत्र में बीएचयू प्रबंधन अध्ययन संस्थान की डॉ दीपिका कौर ने तमिलनाडु से आए प्रतिनिधिमंडल को सरकार की विभिन्न योजनाओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की जानकारी दी। उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापार की संभावनाओं को भी बताया। डॉ कौर ने बताया कि भारत में एमएसएमई क्षेत्र में 5.93 करोड़ पंजीकरण हुए हैं, जिससे 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। यह सेक्टर देश के कुल निर्यात में 45 फीसदी योगदान देता है। डॉ कौर ने केंद्रीय बजट 2025-26 में उद्यमियों और एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित प्रमुख घोषणाओं की जानकारी दी। उन्होंने सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड, ऋण सुविधाओं में बढ़ोतरी और श्रम-प्रधान उद्योगों को प्रोत्साहन देने जैसे सरकार के प्रयासों को भी बताया।
प्रबंधन अध्ययन संस्थान के प्रो. सुभाष प्रताप सिंह ने अनुसंधान, निर्माण क्षेत्र में नवाचार, विपणन तकनीकों और ग्राहक आवश्यकताओं को पूरा करने की रणनीतियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने ‘हेल्प अस ग्रीन’ स्टार्टअप का उदाहरण देते हुए बताया कि यह कंपनी मंदिरों से निकले फूलों का पुनर्चक्रण कर इको-फ्रेंडली उत्पाद बनाती है। प्रो. सिंह ने बीएचयू के अटल इनक्यूबेशन सेंटर का उल्लेख किया, जहां कोबरा ऑनलाइन प्रा. लि. जैसे स्टार्टअप नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने तमिलनाडु के खाद्य उद्योग की भी चर्चा की, जिसने राज्य की आर्थिक प्रगति में अहम योगदान दिया है।
आईआईटी (बीएचयू) के प्रो. डॉ वी. रामनाथन ने मानव संसाधन विकास, स्टार्टअप निवेश और उद्यमशीलता को बताया। प्रो. रामनाथन ने आईआईटी (बीएचयू) में आई-डीपीएट हब फाउंडेशन की जानकारी दी, जहां अब तक 41 स्टार्टअप सफलतापूर्वक स्थापित किए जा चुके हैं। साथ ही, उन्होंने आईआईटी (बीएचयू) में स्टार्टअप नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई चाणक्य फेलोशिप योजना की भी चर्चा की।
स्टार्टअप विशेषज्ञ अनूप शुक्ला ने नवाचार और आर्थिक विकास में स्टार्टअप्स की भूमिका को बताया। अनूप शुक्ला ने कोचिंग, इवेंट प्लानिंग सहित नौ नए स्टार्टअप आइडियाज की जानकारी दी।
इसी क्रम में जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी), वाराणसी के बलराम ने स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता की जानकारी दी। उन्होंने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के बीच सहयोग से उद्यमिता को बढ़ावा देने की संभावनाओं की खासतौर पर चर्चा की।
राजेश सिंह ने काशी और कांची के प्राचीन व गहरे आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संबंधों को बताया और कहा कि काशी तमिल संगमम इन संबंधों को नए आयाम दे रहा है।
अकादमिक सत्र में भारतीय उद्योग संघ और लघु उद्योग संघ के प्रतिनिधि राजेश भाटिया, रघुवेंद्र सिंह ने भी नए स्टार्टअप पर चर्चा की। सत्र में एक इंटरएक्टिव चर्चा भी हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए।
इसके पहले सभागार में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। कार्यक्रम के दौरान वाराणसी के अपर जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) रवि शंकर सिंह ने अतिथियों को सम्मानित किया। सत्र की शुरुआत आईआईटी (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ वी. रामनाथन के स्वागत उद्बोधन से हुई। उन्होंने बताया कि इस सत्र का उद्देश्य छोटे उद्यमियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करना है, ताकि वे अपने अनुभव, विशेषज्ञता और क्षमताओं को साझा कर आपसी सहयोग से विकास के नए रास्ते खोल सकें। तमिलनाडु के रंगनाथन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संगमम के आयोजन के लिए आभार जताया।
तमिल प्रतिभागियों ने तमिल संगमम और अकादमिक सत्र को सराहा
तमिल प्रतिभागियों ने काशी तमिल संगमम 3.0 के आयोजन की सराहना की। चेन्नई के रायरत्नम ने कहा कि इस सत्र के दौरान मिले उपयोगी ज्ञान से नए उद्यमियों को काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने बीएचयू के कुलगीत की जमकर सराहना की। तिरुनेलवेली के कुट्टी ने महर्षि अगस्त्य मुनि का उल्लेख करते हुए काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक एकता को लेकर अपनी बात रखी। कांचीपुरम की कंचना देवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को काशी की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने काशी तमिल संगमम 3.0 के अनुभव को भावनात्मक बताते हुए भारत की एकता और परंपरा की सराहना की। सत्र का समापन प्रो. शुनमुग सुंदरम के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी