दयानिधि मारन के संस्कृत विरोधी बयान के खिलाफ हरिद्वार में निकाली आक्रोश रैली
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- Feb 19, 2025
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हरिद्वार, 19 फरवरी (हि.स.)। डीएमके संसद दयानिधि मारन के संस्कृत विरोधी बयान के विरोध में संस्कृत भारती एवं साधु संतों के नेतृत्व में अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने हरिद्वार में आक्रोश रैली निकाली। यह रैली रानीपुर मोड़ से ऋषिकुल चौक तक निकाली गई, जिसमें संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक, छात्र, विद्वान एवं समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े संस्कृत प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
रैली में उपस्थित जनसमूह ने सांसद दयानिधि मारन के संस्कृत विरोधी बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपरा के खिलाफ बताया। रैली के दौरान गरीबदासीय आश्रम के प्रमुख स्वामी रविदेव ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान है। यह वैदिक ज्ञान, शास्त्रों और उपनिषदों की भाषा है। संस्कृत भारत की ज्ञान-परंपरा की आत्मा है और इस भाषा का विरोध करना भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं सभ्यता पर हमला करने के समान है। स्वामी हरिहरानंद तथा स्वामी दिनेश दास शास्त्री ने कहा कि संस्कृत न केवल भारत की प्राचीनतम भाषा है। बल्कि वैश्विक स्तर पर ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, दर्शन, योग और साहित्य की आधारशिला रही है। संस्कृत को यूनेस्को सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने सबसे वैज्ञानिक भाषा के रूप में मान्यता दी है। महंत गोविंददास, डॉ. श्रवण मुनि, स्वामी सुतीक्ष्ण मुनि तथा आचार्य रामचंद्र शर्मा ने भी प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला