बिहार के विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति की नियुक्ति अनिवार्य : अभाविप

पटना, 08 जनवरी (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने बिहार के विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति की नियुक्ति को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।

कार्यवाहक कुलपतियों के नेतृत्व में विश्वविद्यालयों के दीर्घकालिक विकास और नीति निर्माण में गंभीर बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रान्त मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि स्थायी कुलपतियों की रिक्तियों से विश्वविद्यालयों में अनुशासन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में प्रभावशीलता की भारी कमी देखी जा रही है।

उन्होंने कहा इस स्थिति का सीधा प्रभाव छात्रों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर पड़ रहा है। राजभवन एवं राज्य सरकार को तत्काल इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और स्थायी कुलपतियों की नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि विश्वविद्यालय में अराजक स्थिति होने से बचा जा सके। साथ ही भविष्य में यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विश्वविद्यालय के नियमित कुलपति के कार्यकाल पूरे होने के पहले ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाए ताकि विश्वविद्यालय का काम अबाध तरीके से चल सके।

सिंह ने चेतावनी दी कि यदि इस मांग पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो विद्यार्थी परिषद इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि स्थायी कुलपति की नियुक्ति से विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रशासनिक दक्षता में सुधार होगा।

अखिल विद्यार्थी परिषद् ने यह भी अपील की है कि सरकार और संबंधित प्राधिकरण छात्रों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करें।

यह प्रेस विज्ञप्ति प्रांत कार्यालय मंत्री नवनीत कुमार के द्वारा जारी की गई है।

बिहार के प्रमुख विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना, पूर्णिया विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (15 जनवरी से कार्यवाहक कुलपति होंगे) और नालंदा खुला विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की अनुपस्थिति के कारण शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी

   

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