आज माघ बिहू की उरुका-रात्रि, हर असमिया एक साथ भोजन करने के लिए तैयार

गुवाहाटी, 13 जनवरी (हि.स.)। भरपूर भोग की सामग्रियों के साथ फिर से आ गया है हर्षोल्लास का भोगाली बिहू। आज सोमवार को भोगाली या माघ बिहू का उरुका मनाया जा रहा है। उरुका का मतलब है सामूहिक भोज का आनंद और उल्लास। उरुका की रात हर असमिया सामूहिक भोजन कर आपसी सद्भाव का जश्न मनाने के लिए तैयार रहता है। भोगाली बिहू को 'भोग का उत्सव' भी कहा जाता है क्योंकि इस मौसम में अन्न और मछलियों की प्रचुरता रहती है। असमिया सांस्कृतिक परंपरा को बनाए रखते हुए राज्यवासी उत्साहपूर्वक इस त्योहार को मनाने के लिए तैयार रहते हैं।

उरुका के अवसर पर घर-घर में सुबह से ही तैयारियों की हलचल देखी जा रही है। रात के सामूहिक भोज के लिए सुबह से ही बाजारों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी है। राज्य के सुदूर सदिया से लेकर धुबड़ी तक हर असमिया के बीच भारी व्यस्तता देखी जा रही है।

इधर, उरुका के दिन बाजार मछली और अन्य खाद्य पदार्थों से भरे हुए हैं। हर बाजार में बड़ी-बड़ी मछलियां, मुर्गियां, बत्तख आदि की खासी रौनक है। स्थानीय मछलियों के साथ-साथ बड़े आकार की रौ, भोकुआ, बोराली जैसी मछलियां भी उपलब्ध हैं। अपनी पसंद की मछली खरीदने के लिए लोग सुबह से ही बाजारों में भीड़ लगाए हुए हैं। कुछ लोग बड़ी-बड़ी मछलियां खरीदने के लिए तड़के ही बाजार पहुंच गए। सितल, रौ, आरी, भोकुआ, बोराली, बिगहेड, शोल, पाव मछलियों की प्रचुरता से सभी बाजार भरे पड़े हैं।

राजधानी के उजान बाजार में भी तड़के से मछलियां खरीदने वालों की भीड़ देखी गई। उरुका के दिन का मछली बाजार कहें तो उजान बाजार का जिक्र विशेष तौर पर होता है। इस बार उजान बाजार में 18 किलोग्राम वजन की विशाल भोकुआ मछली देखी गयी। इसके अलावा, 20 किलोग्राम की आरी और 18 किलोग्राम की बोराली मछलियां भी उजान बाजार में उपलब्ध हैं। उजान बाजार में रौ, भोकुआ, बोराली, सितल, आरी जैसी कई किस्मों की बड़ी मछलियां देखी गईं। वहीं, राज्य के अन्य इलाकों के बाजार भी विभिन्न प्रकार की मछलियों से भरे हुए हैं।आज माघ बिहू की उरुका की रात्रि, हर असमिया एक साथ भोजन करने के लिए तैयार हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर

   

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