नई दिल्ली, 18 जनवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की चुनावी लाफनामों में दायर कर्ज और आय के आंकड़ों को लेकर सवाल किया है।
भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा की भाजपा ने दो दिन पहले जन जिज्ञासा का सवाल उठाया था की आखिर कैसे मुमकिन है की एक मुख्यमंत्री अपनी बेसिक आमदनी से भी कम का आयकर रिटर्न दाखिल करता है। उन्होंने कहा कि इस पर अरविंद केजरीवाल ने अभी तक जवाब देना जरूरी नहीं समझा। हम आज फिर से अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछते हैं कि आखिर यह कैसे मुमकिन है की गत दशक में आपके आयकर रिटर्न में दिखाई आय आपके मूल वेतन से भी कम है। वहीं शराब नीति बनने वाले कोविड काल में आपकी आय 40 गुणा कैसे बढ़ गई थी।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की अभी हम समझ ही रहे थे की आखिर कैसे एक सेवानिवृत्त आयकर अधिकारी एवं पूर्व मुख्यमंत्री की आय दिल्ली वालों की पर-केपिटा आय से भी कम हो सकती है तो तभी हमारा ध्यान मनीष सिसोदिया के हलाफनामे पर गया। इसमें सिसोदिया पर कर्ज के आंकड़े हर नागरिक के मन में सैकड़ों सवाल खड़े करते हैं।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष ने कहा है कि आजकल बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए मां-बाप द्वारा कर्ज लेना सामान्य बात है लेकिन मनीष सिसोदिया के मामले में यह शिक्षा कर्ज लेना असामान्य बात है। साधारणता हम सब बच्चों का शिक्षा कर्ज बैंक से लेते हैं पर मनीष सिसोदिया व्यापारिक लोगों से शिक्षा ऋण लेते हैं।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि मनीष सिसोदिया का चुनावी हलाफनामा यह बताता है की सिसोदिया आम लोगों की ही तरह फिक्स्ड डिपॉजिट बचत तो बैंक में करते हैं पर जब कर्ज लेने की जरूरत पड़ती है तो उनके पास ऐसे-ऐसे मित्र हैं जो उन्हें लाखों रुपये का कर्ज दे देते हैं, वो भी दीर्घकालीन अवधि के लिए।
उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया के रिटर्न अनुसार हर सामान्य नागरिक की ही तरह सिसोदिया भी सरकारी बैंकों में जाना पसंद करते हैं जैसे बैंक आफ बड़ोदा, शकरपुर में उनके पास 14 लाख की फिक्स्ड डिपॉजिट है, तो पंजाब नेशनल बैंक साहिबाबाद में 19 लाख 97 हजार का फिक्स्ड डिपॉजिट है। किसी मध्यम वर्गीय परिवार की ही तरह उनके जमा पूंजी आंकड़े सामान्य हैं पर जब हम मनीष सिसोदिया के ऊपर शिक्षा कर्ज का आंकड़ा देखते हैं तो लगता है की यह तो हेर-फेर का मामला हो सकता है।
सचदेवा ने कहा कि सवाल यह भी है कि केजरीवाल-सिसोदिया ने कर्ज क्यों लिया, किसी सरकारी योजना का भी लाभ ले सकते थे और साथ ही बताएं कि वो तो दिल्ली में बड़े विश्वविद्यालयों की बात करते हैं तो फिर पुत्र को विदेश पढ़ने क्यों भेजा। हमें विदेश में पढ़ने पर आपत्ति नहीं केवल जिज्ञासा का प्रश्न है।
उन्होंने कहा कि आम जनता बच्चों की शिक्षा का दीर्घकालीन कर्ज बैंक से लेती है मनीष सिसोदिया को उनके तीन परिचित 1.5 करोड़ का कर्ज देते हैं वह भी शराब पॉलिसी के कालखंड में यह सवाल खड़े करता है। हम उनसे इसका जवाब चाहते हैं।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की दिल्ली की जनता जानना चाहती है की मनीष सिसोदिया के वह 3 मित्र रोमेश चंद मित्तल, दीपाली एवं गुणित अरोड़ा कौन हैं जिन्होंने 86 लाख, 10 लाख एवं 58 लाख के पुत्र शिक्षा कर्ज सिसोदिया को शराब नीति विवादकाल में दिए हैं ।
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हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी