पानीपत में बाल विवाह को रोकने के लिए प्रशासन हुआ सचेत

पानीपत, 9 अप्रैल (हि.स.)।पानीपत में अक्ष्य तृतीया पर हाेने वाले बाल विवाह राेकने के लिए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। अब सामुदायिक केन्द्रों, सार्वजनिक भवनों, बैंकेट हॉल, मैरिज हॉल, मैरिज पैलेस, टेंट हाऊस इत्यादि के मालिकों को शादियाें का रिकार्ड रखने के निर्देश दिए गए हैं। उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया ने बुधवार को जारी जानकारी में कहा कि आगामी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर आयोजित होने वाले विभिन्न विवाह समारोह के दौरान बाल विवाह को रोकने में विवाह करवाने वाले पुजारी, गांव के सरपंच, पंच व नम्बरदार तथा शहरों में पार्षद मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सभी सामुदायिक केन्द्रों, सार्वजनिक भवनों, बैंकेट हॉल, मैरिज हॉल, मैरिज पैलेस, टेंट हाऊस इत्यादि के मालिकों से भी अपील की है कि वे अपने यहां आयोजित होने वाले विवाह समारोह के सम्बंध में पहले से दुल्हा व दुल्हन के आयु प्रमाण पत्रों की जांच कर लें तथा प्रति भी अपने पास रख लें।

जिला बाल संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लडक़ी की शादी 18 व लडक़े की शादी 21 वर्ष से पहले अगर कोई करता या कराता तो वह कानूनी अपराध है। और एक्ट के तहत बाल विवाह के आयोजन में भागीदार सभी लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी । तथा बाल विवाह करना, करवाना व इसको बढ़ावा देना, इसमें शामिल होना एक गैर जमानती अपराध है जिसके तहत सजा व जुर्माने का भी प्रावधान है।

रजनी ने बताया कि अगस्त 2002 में कानून के बदलाव के बाद यदि किसी भी नाबालिक लडके व लडकी का बाल विवाह किया जाता है तो उसे निरस्त माना जाएगा। अगर कहीं ऐसा होता है तो इसकी सूचना पुलिस थाना व चौकी, आंगनबाड़ी केन्द्र, महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी, सम्बंधित एसडीएम, तहसीलदार और बाल विवाह निषेध अधिकारी के साथ-साथ पुलिस कंट्रोल रूम, चाईल्ड हैल्पलाईन पर इसकी सूचना दी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा

   

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