बलिया रेलवे स्टेशन के मेन गुम्बद टूट कर गिरा

बलिया, 26 सितंबर (हि.स.)।

बलिया रेलवे स्टेशन के नवनिर्मित प्रवेश द्वार के गुबंद का एक हिस्सा गुरुवार को धराशायी हो गया। उसके नीचे खड़े यात्रियों में भगदड़ मच गई। इसकी खबर लगते ही परिसर में लोगों की भीड़ जुट गई। आरपीएफ व जीआरपी ने प्रवेश द्वार की बैरिकेडिंग कर बंद कराया।

बलिया रेलवे स्टेशन के भवन का निर्माण 1905 में हुआ था। 43 करोड़ रुपए की लागत से रेलवे स्टेशन के भवन का सुंदरीकरण सहित कई निर्माण कार्य व यात्रियों सुविधाओं का विस्तार कार्य चल रहा है। पुराने भवन का बिना जीर्णोद्धार के सुंदरीकरण कर धौलपुर का पत्थर व फॉग लाइट लगाई गई थी। वर्षों पुराने भवन पर बिना जांच पड़ताल के पत्थर लगाकर खानापूर्ति की गई। यही कारण रहा कि बिना बिजली गिरे या आंधी-तूफान के अचानक स्टेशन के प्रवेश द्वार का गुबंद तेज आवाज के साथ धराशायी हो गया। उसके नीचे खड़े यात्रियों में भगदड़ मच गई। सभी परिसर की तरफ भाग खड़े हुए, इसमें कई महिला व बुजुर्ग यात्री गिर गए। पार्सल कार्यालय व पूछताछ कार्यालय के कर्मचारी डर के मारे बाहर की तरफ भाग निकले। हालांकि, गुबंद का मलबा नीचे न गिरने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ। सूचना पर पहुंचे आरपीएफ व जीआरपी के जवानों ने यात्रियों को हटाकर मुख्य गेट को बैरिकेडिंग कर आवाजाही बंद करा दी। परिसर में धराशायी गुबंद को देखने वालों की भीड़ जुट गई। हर कोई अपने मोबाइल में इसे कैद करने में लगा रहा। हालांकि, रेलवे पुलिस ने सभी को हटाया।

वाराणसी मंडल के पीआरओ अशोक कुमार ने कहा कि गुबंद का छज्जा बरसात के कारण गिर गया है। पुराने निर्माण पर ही पत्थर लगाया गया था, उसका मलबा नीचे नहीं गिरा है। उन्होंने कहा कि सजावटी छज्जा 45 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है। इस भवन पर जब से गुम्बद का निर्माण हुआ है, उसके बाद अब तक इस भवन में कोई संरचनात्मक बदलाव नहीं किया गया है, केवल गुंबद पर मैचिंग धौलपुर पत्थर लगाया गया है। आज गुम्बद के एक तरफ के सजावटी छज्जे पर अतिरिक्त झुकाव देखा गया। जांच के बाद पाया गया कि एक तरफ के सजावटी छज्जे में कुछ दरारें विकसित हुई है। इसके बाद झुके हुए सजावटी छज्जे को हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी

   

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