बंगाल पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी के कश्मीरी संदिग्धों वाले दावे को किया खारिज, बताया आधारहीन और भ्रामक

कोलकाता, 24 अप्रैल (हि. स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दो कथित ‘कश्मीरी व्यक्तियों’ पर लगाए गए संदेहास्पद गतिविधियों के आरोपों को गुरुवार को बारुईपुर पुलिस ने पूरी तरह से खारिज कर दिया।

पुलिस ने स्पष्ट किया कि जिन दो लोगों पर अधिकारी ने संदेह जताया था, वे वास्तव में कश्मीर से नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश से हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा था कि बारुईपुर के एक फ्लैट की छत पर 'नैनोबीम 2एसी हाई-पर्फॉर्मेंस वायरलेस नेटवर्क ब्रिज' लगाया गया है। उन्होंने इस ‘संदिग्ध गतिविधि’ की जांच राज्य पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग भी की थी। साथ ही उन्होंने उक्त फ्लैट का पूरा पता भी सार्वजनिक कर दिया था।

बारुईपुर पुलिस ने जांच के बाद बताया कि जिन दो व्यक्तियों पर शुभेंदु अधिकारी ने संदेह जताया, वे एक हिंदू और एक मुसलमान हैं, और दोनों ही मध्यप्रदेश के निवासी हैं। वे तकरीबन तीन सप्ताह पहले बारुईपुर में एक फ्लैट किराए पर लेकर रह रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, दोनों पेशे से इंजीनियर हैं और एक स्थानीय मित्र की मदद से पश्चिम बंगाल में मत्स्य पालन व्यवसाय की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

पुलिस ने यह भी बताया कि उनके फ्लैट में एक सामान्य ‘जियोफायर नेटवर्क’ लगा है, जैसा कि आम नागरिकों द्वारा उपयोग किया जाता है। इसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं है।

शुभेंदु अधिकारी द्वारा सोशल मीडिया पर आरोप लगाने के बाद, कई एक्स उपयोगकर्ताओं ने उनके दावे पर सवाल उठाए और सुझाव दिया कि इस तरह की सूचना पहले जांच एजेंसियों को देनी चाहिए थी, न कि सार्वजनिक मंच पर साझा करनी चाहिए, जिससे कथित आरोपित सतर्क होकर फरार हो सकते थे।

बारुईपुर पुलिस ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग तथ्यों की पुष्टि किए बिना सोशल मीडिया पर इस तरह की गलत और भड़काऊ जानकारी साझा करते हैं। इससे न सिर्फ समाज में भ्रम फैलता है, बल्कि यह कानूनन दंडनीय भी है।”

पुलिस ने जनता से अपील की कि वे संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी सीधे राज्य या केंद्रीय एजेंसियों को दें, न कि सोशल मीडिया पर साझा करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति पर बिना पुष्टि के सार्वजनिक रूप से आरोप लगाना कानूनी अपराध है।

यह विवाद ऐसे समय में उठा है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें तीन पश्चिम बंगाल के नागरिक भी शामिल थे। हमले के बाद से कश्मीरी छात्रों पर देश के कुछ हिस्सों में हमलों की खबरें भी सामने आई हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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