बिहार एनसीपीईडीपी फेलो की रिसर्च ने विकलांग समुदाय के लिए डिजिटल एक्सेसिबिलिटी की बाधाओं को किया उजागर 

पटना, 12 नवम्बर (हि.स.)। जैसे-जैसे दुनिया डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रही है, डेटा संग्रहण और प्रबंधन में काफी आसानी हो गई है। बिहार के चंपारण से एनसीपीईडीपी-जावेद अबिदी फेलोशिप के तहत मासूम रजा के जरिए किए गए शोध में विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) को इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस तक पहुंच में आने वाली चुनौतियों को उजागर किया गया है।

मासूम रजा देशभर से आने वाले 21 फेलो की पहली टीम में शामिल हैं, जो विकलांगता एडवोकेसी और नीति सुधार में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं। यह फेलोशिप कोविड-19 महामारी के दौरान एनसीपीईडीपी द्वारा शुरू की गई थी, जो विकलांग युवाओं के लिए विशेष रूप से बनाई गई है और उन्हें प्रतिदिन आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एडवोकेसी रिसोर्स प्रदान करती है।

एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा कि रजा के गहन विश्लेषण ने विकलांग लोगों द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों और बाधाओं पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की है, जो एक्सेसिबिलिटी में सुधार करने और ज्ञान आधारित समाज में डिजिटल कंटेंट तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में सहायक सिद्ध होगी। यह फेलोशिप प्रोग्राम भारतीय विकलांगता आंदोलन के लिए नेताओं का निर्माण करने में सफल हो रहा है, जो उनके ज्ञान और अनुभव को गहराई प्रदान कर रहा है। उनकी प्रतिबद्धता हमें विकलांग व्यक्तियों के लिए भारत में कहानी को बदलने की दिशा में एक कदम और करीब ले जाती है। एनसीपीईडीपी-जावेद अबिदी फेलोशिप के माध्यम से रजा जैसे युवा नेता विकलांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी डिजिटल भविष्य के लिए जागरुकता की एक नई राह बना रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी

   

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