भक्तिभाव से मनाई गई बुद्ध पूर्णिमा

जयपुर, 12 मई (हि.स.)। वैशाख मास की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) का पर्व सोमवार को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। त्याग, परोपकार का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध का जन्म इसी तिथि को हुआ था। इसी कारण इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। अनेक संगठनों की ओर से भगवान बुद्ध जन्मोत्सव मनाया गया। वहीं, मनोवांछित फल की प्राप्त के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने गलताजी के पवित्र जल में डुबकी लगाई। सनातन धर्मावलंबियों ने सुबह स्नान कर मंदिरों में दर्शन किए। इसके बाद जरुरतमंदों को आवश्यक्तानुसार सामग्री दान की। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि रविवार को देर शाम से ही शुरू हो गई जो कि सोमवार रात करीब सवा नौ बजे तक थी। पूर्णिमा को स्वाति नक्षत्र होने से पर्व का महत्व बढ़ गया। इस योग में श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण, धर्मराज की पूजा की। मान्यता यह भी है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को बताया था कि वैशाख मास की पूर्णिमा का व्रत करने से उनकी दरिद्रता और दु:ख दूर हो जाएगी।

पूर्णिमा पर सांगानेर और दुर्गापुरा स्थित गौशाला और हिंगोनिया स्थित नगर निगम के गौ पुनर्वास केन्द्र में बड़ी संख्या में लोगों ने गायों को हरा चारा और गुड़ खिलाया। श्रीश्याम सेवी संस्थाओं की ओर से शाम को श्याम प्रभु का कीर्तन किया गया। श्री हरिओम जन सेवा समिति की ओर से विद्याधरनगर में जरुरतमंदों को दूध का वितरण किया गया।

आराध्य देव गोविंद देव जी महाराज को भीषण गर्मी से निजात दिलाने के लिए मंदिर प्रांगण में विशेष व्यवस्थाएं की गई। ठाकुर जी के गर्भ गृह में फव्वारों से ठंडक की जा रही है। इसी कड़ी में सोमवार को गोविंद देवजी मंदिर में जल उत्सव की शुरुआत हुई। इससे लिए ठाकुरजी को चांदी के रियासतकालीन सिंहासन पर विराजमान किया गया। ठाकुरजी ने राधा रानी संग सुगंधित जल की फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन दिए। दोपहर को महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में गोविन्ददेवजी मंदिर के निज गर्भ मंदिर में रियासतकालीन फव्वारा चलाया गया। जल में चंदन, केवड़ा और गुलाब जल मिलाया गया। इससे पूरा मंदिर परिसर सुगंधित हो उठा। मंदिर के छांवण में प्रवेश करते ही भक्तों को शीतलता का अहसास हुआ। ठाकुरजी को सफेद धोती और दुपट्टा धारण कराकर हल्के पीले और धवल ऋतु पुष्पों से शृंगार किया गया। जलविहार का जल मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान की ओर निकलने लगा। जहां श्रद्धालुओं ने जल में स्नान किया। कुछ दर्शनार्थी अपने साथ जल पात्र में भरकर घर भी लेकर गए। ठाकुरजी ने जलविहार के दौरान भक्तों को पानी बचाने का संदेश दिया। पहले जलविहार की झांकी एक घंटे की हुआ करती थी, उसका समय घटाकर मात्र 15 मिनट कर दिया गया है। जल यात्रा उत्सव के बाद आम, खरबूजा, तरबूज, खस और गुलाब का शरबत, मुरब्बे का भोग लगाया गया।

बारह दिन होगा जल यात्रा उत्सव:

ज्येष्ठ माह में 12 दिन दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक ठाकुरजी राधा रानी संग शीतल फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन देंगे। 18 मई, 23 मई(अपरा एकादशी), 26 मई, 27 मई, 28 मई, 31 मई, 05 जून, 07 जून को जल यात्रा उत्सव के तहत जलविहार की झांकी सजेगी। सात जून को निर्जला एकादशी पर जल विहार झांकी का समय 1:45 से 01:00 बजे तक रहेगा। ज्येष्ठाभिषेक का मुख्य उत्सव 11 जून को साढ़े बारह से एक बजे तक होगा।

अबूझ सावा- छह समाजों के दस जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

पीपल पूर्णिमा के अबूझ सावे पर राजधानी में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, जनेऊ, मुंडन संस्कार सहित मांगलिक आयोजनों की धूम रही। इसी कड़ी में नई नाथ धाम बांसखों स्थित बलराम धर्मशाला में सेवा भारती समिति इकाई बस्सी (बांसखों) की ओर से सर्वजातीय समूहिक वैवाहिक सम्मेलन हुआ। घर जैसे माहौल में छह समाजों के दस जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। सामूहिक विवाह सम्मेलन के संयोजक अशोक सोयल ने बताया कि मुख्य अतिथि वन मंत्री संजय शर्मा, बगरू विधायक कैलाश वर्मा, सेवा भारती के गिरधारी लाल शर्मा, एवं अन्य विशिष्टजनों ने संतों-महंतों के सान्निध्य में वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान किया। श्री राम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन बस्सी के अध्यक्ष कमलेश जैन ने बताया कि इससे पूर्व गाजेबाजे के साथ बारात आयोजन स्थल पहुंची। बारातियों का जोरदार स्वागत किया गया। मुख्य द्वार पर तोरण मारने की रस्म हुई। थाम पूजा और प्रधान पूजा के बाद पाणिग्रहण संस्कार कराया गया। दस वेदियों पर वर-वधु के बैठने की व्यवस्था की गई।

सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार का पंचामृत अभिषेक कर पुष्पों से श्रृंगार किया गया। प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया एवं अन्य वैष्णव भक्तों ने पूर्णिमा के पदों का भाव से गायन कर ठाकुरजी के लाड़ लड़ाए। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर में महंत मलय गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पूजन कर विशेष झांकी के दर्शन कराए गए। फलों का भोग लगाया गया। पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी मंदिर में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर में भजन गाएं। रामगंज बाजार के लाड़लीजी मंदिर में महंत संजय गोस्वामी के सान्निध्य में मंदिर का पाटोत्सव मनाया गया। श्रीजी का पंचामृत अभिषेक कर मिश्री मावा, केसर पिस्ता, बादाम, मक्खन, आमरस, मेवा, फलों तथा विशेष व्यंजनों का भोग लगाया गया। महाराज वृषभान किशोरी...भज कीरत नंदनी श्री श्यामा भज...जैसे पदों का गायन किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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