सीएफएस ने लांच की नेत्र चिकित्सा की क्रांतिकारी तकनीक, 10 सेकंड से भी कम समय में विज़न करेक्शन
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- Mar 05, 2025

नई दिल्ली, 5 मार्च (हि.स.)। देश में एडवांस आई केयर का नेतृत्व करने वाले सेंटर फॉर साइट (सीएफएस) ने दुनिया की सबसे तेज़ और सुरक्षित लेसिक लेजर सर्जरी तकनीक एएमएआरआईएस 1050आरएस को फॉरसाइट के साथ लॉन्च की है। सीएफएस के अध्यक्ष और चिकित्सा निदेशक डॉ. महिपाल एस सचदेव ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक तकनीक विज़न करेक्शन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, क्योंकि यह महज़ 10 सेकंड से भी कम समय में प्रति आंख इलाज पूरा कर देती है। इससे सटीकता और रोगियों के परिणामों में जबरदस्त सुधार होगा।
उन्होंने बताया कि इस लॉन्च के साथ ही सीएफएस ने दो और आधुनिक विज़न करेक्शन समाधान पेश किए हैं, जिनमें कस्टम आईज और स्मार्ट सर्फ एसीई हैं। ये दोनों ही फॉरसाइट टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित हैं। कस्टम आईज हर व्यक्ति की आंखों की विशेषताओं के अनुसार पूरी तरह पर्सनलाइज्ड लेज़र विज़न करेक्शन है, जिससे बेहतरीन दृष्टि सुधार सुनिश्चित होता है। स्मार्ट सर्फ एसीई एक पूरी तरह टच-फ्री और ब्लेड-फ्री लेसिक प्रक्रिया है, जो मरीजों के लिए अधिक आरामदायक, सुरक्षित और तेज़ रिकवरी प्रदान करती है।
डॉ. महिपाल ने बताया कि फॉरसाइट एक एडवांस्ड एआई आधारित सिस्टम है, जो हजारों डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण कर हर मरीज के लिए सर्जरी की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करता है। इससे डॉक्टर सर्जरी से पहले ही संभावित परिणामों को देख सकते हैं, जिससे सर्जरी की सटीकता और सुरक्षा बढ़ती है और विज़न करेक्शन के नतीजे पहले से कहीं बेहतर होते हैं।
उन्होंने बताया कि लेसिक से आगे बढ़ते हुए सीएफएस ने केराटोकोनस जैसी जटिल कॉर्नियल स्थितियों के इलाज के लिए भी फॉरसाइट संचालित समाधान पेश किए हैं। इनमें विशेष तौर पर ट्रेक (टोपोग्राफी गाइडेड रिमूवल ऑफ एपिथेलियम फॉर केराटोकोनस) तकनीक एक साथ एपिथीलियम और स्ट्रोमा को हटाने में सक्षम बनाती है, जिससे खासतौर पर केंद्रीकृत शंकु वाले मरीजों को फायदा होता है और कॉर्नियल शेपिंग बेहतर होती है। टीसीएटी (टोपोग्राफी-गाइडेड कस्टम एब्लेशन ट्रीटमेंट) की उन्नत लेज़र तकनीक के जरिए कॉर्निया के असमान भागों को ठीक किया जाता है, जिससे केराटोकोनस से पीड़ित मरीजों को अधिक स्पष्ट दृष्टि मिलती है और उनके स्पेशल कॉन्टैक्ट लेंस पर निर्भरता कम हो सकती है।
डॉ. महिपाल ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहा, आज दुनिया में मायोपिया (नज़दीक की कमज़ोर दृष्टि) तेजी से बढ़ रही है। 2050 तक दुनिया की आधी आबादी मायोपिक हो सकती है। सीएफएस में हमारा उद्देश्य यही है कि हम आधुनिक विज़न करेक्शन तकनीकों के जरिए लोगों को चश्मे पर निर्भरता से मुक्ति दिलाएं। हम हमेशा अपने मरीजों को सर्वोत्तम तकनीक देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
उल्लेखनीय है कि सीएफएस 350 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ देश के 30 से अधिक शहरों में 85 से अधिक आई केयर सेंटर संचालित करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव