केंद्रीय बजट में हिमाचल की उपेक्षा, रेलवे विस्तार को किया गया नजरअंदाज : सुक्खू

शिमला, 01 फ़रवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय बजट 2025-26 पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे असमान और अवसरवादी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बजट हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों की उपेक्षा करता है और इसमें राज्य के आर्थिक व सामाजिक विकास की जरूरतों को अनदेखा किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट के बड़े हिस्से को बिहार पर केंद्रित किया गया है। उन्होंने बजट को विकास में असमानता को बढ़ावा देने वाला करार दिया।

बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी पर नहीं दिया ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बजट देश की सबसे गंभीर समस्याओं जैसे बेरोजगारी, गरीबी और बढ़ती महंगाई को दूर करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे ठोस उपाय करने चाहिए थे, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलता। लेकिन यह बजट जमीनी हकीकत से दूर है।

सेब उत्पादकों को राहत नहीं, आयात शुल्क में बढ़ोतरी का कोई प्रावधान नहीं

मुख्यमंत्री सुक्खू ने हिमाचल के सेब उत्पादकों की उपेक्षा पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था में सेब का अहम योगदान है। लेकिन इस बजट में सेब के आयात शुल्क में वृद्धि करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया। इससे प्रदेश के बागवानों को राहत नहीं मिलेगी बल्कि वे वित्तीय कठिनाइयों का सामना करते रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में रेलवे नेटवर्क के विस्तार की अनदेखी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के लिए रेल कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है, लेकिन बजट में इस दिशा में कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। यह हिमाचल की लॉजिस्टिक्स और पर्यटन क्षमता को सीमित रखने की साजिश जैसी प्रतीत होती है।

ब्याज मुक्त ऋण में कोई बढ़ोतरी नहीं, जीएसटी क्षतिपूर्ति की भी नहीं हुई भरपाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल जैसे छोटे राज्यों के लिए ब्याज मुक्त ऋण की 1.5 लाख करोड़ रुपये की सीमा में बढ़ोतरी नहीं की गई, जबकि राज्य को विकास कार्यों के लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की जरूरत है। इसके अलावा जीएसटी क्षतिपूर्ति को समाप्त करने के कारण हिमाचल को हर साल बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है, लेकिन इस बजट में इस वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए कोई विशेष पैकेज नहीं दिया गया।

मध्यम वर्ग के लिए आयकर छूट में देरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में मध्यम वर्ग को आयकर छूट देने की घोषणा की गई, लेकिन इसमें देरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर ढांचे के बदलाव का लाभ उपभोग और मांग बढ़ाने की बजाय पिछले वर्षों में लगाए गए कर की भरपाई में चला गया। यह कदम मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए असंतोषजनक है और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को उचित सम्मान नहीं देता।

कृषि क्षेत्र को भी किया गया उपेक्षित

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कृषि क्षेत्र की अनदेखी पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई ठोस नीति नहीं दी गई और न ही आधुनिक कृषि पद्धतियों और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण किया गया। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।

समृद्ध वर्ग को प्राथमिकता, आम लोगों की उपेक्षा

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यह बजट आम जनता के बजाय समृद्ध वर्ग को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे राज्य भी अब ऐसे बजट के दुष्परिणामों का सामना करने को मजबूर हैं जो सामाजिक और आर्थिक असमानता को बढ़ाने वाला है।

समावेशी और सहायक बजट बनाने की जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को ऐसा बजट चाहिए जो सभी नागरिकों की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बजट को अधिक समावेशी बनाया जाए ताकि सभी वर्गों का समान विकास सुनिश्चित हो सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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