काशी तमिल संगमम 3 में पहले तमिल जत्थे के स्वागत के लिए पूरी तैयारी
- Admin Admin
- Feb 14, 2025
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—नमोघाट पर होगा उद्घाटन,स्थानीय तमिल नागरिकों से भी भाग लेने की अपील
वाराणसी,14 फरवरी (हि.स.)। काशी-तमिल संगमम 3 (केटीसी 3) की शुरूआत शनिवार से होगी। संगमम में भाग लेने आ रहे लेखकों, शिक्षकों और छात्रों का भव्य स्वागत की तैयारी है। नमोघाट पर केटीसी 3 का उद्घाटन होगा। उद्घाटन समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहेंगे। ऋषि अगस्त्य और महाकुम्भ की थीम पर आधारित काशी-तमिल संगमम 3 में शामिल होने आ रहा पहला जत्था श्री काशी विश्वनाथ मंदिर,मां विशालाक्षी और मां अन्नपूर्णा मंदिर में भी हाजिरी लगाएगा। सदस्यों को रामनगर किला भी दिखाया जाएगा। गंगा में नौकायन के साथ हनुमान घाट स्थित तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती के आवास पर भी दल जाएगा।
जिलाधिकारी एस.राजलिंगम के अनुसार 15 फरवरी से 24 फरवरी के बीच कुल छह समूह में 1200 लोग आएंगे। हर जत्थे में 200 लोग शामिल रहेंगे। इसमें पहला छात्र, शिक्षक व लेखक, दूसरा समूह किसान और कारीगर, तीसरा पेशेवर और उद्यमी, चौथा स्वयं सहायता समूह, मुद्रा ऋण लाभार्थी और प्रचारक, पांचवां स्टार्ट-अप, इनोवेशन, शिक्षा तकनीक और अनुसंधान और अंतिम समूह केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों का होगा। इनके अलावा दक्षिण भारत से कलाकार भी आएंगे। कलाकार प्रतिदिन शाम को नमो घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे। उन्होंने बताया कि बीएचयू के ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में होने वाले एकेडमिक सत्र में तमिलनाडु के समूहों का काशी के संबधित जनों से संवाद होगा।
काशी में रहने वाले तमिल भाषियों से कार्यक्रम में भाग लेने की अपील
जिलाधिकारी ने वाराणसी में रहने वाले तमिल भाषियों से एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ इस कार्यक्रम में जुड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य से उत्तर और दक्षिण के लोगों के सांस्कृतिक व धार्मिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में सहायता मिलेगी। इसके पहले जिलाधिकारी ने स्थानीय तमिल समुदाय के लोगों संग बैठक की । बैठक में जिलाधिकारी ने तमिल भाषियों से कहा कि प्रतिनिधि मंडल को यहां के प्रमुख स्थलों, धार्मिक स्थलों जैसे श्रृंगेरी मठ, काँची मठ, जंगमबाड़ी मठ, कुमारस्वामी मठ, तैलंग स्वामी मंदिर, केदारेश्वर मंदिर, अगस्तेश्वर मंदिर, अन्नपूर्णा मन्दिर और कौड़िया माता मंदिरों का नाम अवश्य बताएं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी