कांग्रेस ने 1947 से 2013 तक संविधान को कमजोर करने का काम किया : पूर्व मंत्री
- Neha Gupta
- Apr 15, 2025


जम्मू, 15 अप्रैल । वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री बाली भगत ने मोदी सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाने के लिए कांग्रेस पार्टी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि वास्तव में कांग्रेस शासन ने दशकों तक जोड़-तोड़ वाले संशोधनों और विभाजनकारी राजनीति के माध्यम से संवैधानिक मूल्यों को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया है।
कांग्रेस नेता के निराधार आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि 1947 से 2013 तक कांग्रेस सरकार ने 50 से अधिक ऐसे कानून पेश किए और उनमें संशोधन किया जिससे संविधान की भावना कमजोर हुई। उन्होंने कहा यह विडंबना है कि जिस पार्टी ने 1975 में आपातकाल लगाया, मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया और प्रेस पर सेंसरशिप लगाई वही अब संवैधानिक मूल्यों के बारे में उपदेश दे रही है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के क्रूर कदम की ओर इशारा किया जो भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्यायों में से एक है।
बाली भगत ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि अनुच्छेद 370 और 35ए, जो नागरिकों के साथ भेदभाव करते थे और राष्ट्रीय एकीकरण में बाधा डालते थे पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासन की देन थे। उन्होंने कहा आखिरकार इन अनुच्छेदों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को शेष भारत के साथ पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता थी। पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि यहां तक कि वक्फ बोर्ड की स्थापना भी नेहरू के नेतृत्व में हुई थी और 1995 के वक्फ अधिनियम ने इसे व्यापक नियंत्रण दिया जिसका अक्सर राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जाता था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान किए गए वक्फ अधिनियम में 2013 के संशोधनों ने धार्मिक संस्थानों को और अधिक सशक्त बनाया जिससे धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर किया गया।
अन्य ऐतिहासिक भूलों पर प्रकाश डालते हुए भगत ने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान राष्ट्रीय सहमति या सार्वजनिक हित के बिना भारत की बड़ी भूमि पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और बर्मा को सौंप दी गई। उन्होंने 1992 के अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की भी आलोचना की और कहा कि इसे केवल हिंदू समाज को विभाजित करने और विशिष्ट समुदायों को खुश करने के लिए लागू किया गया था। 1984 के आम चुनावों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस जिसके पास 404 से ज़्यादा सीटें थीं ने 1985 में नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके असम में 60 लाख अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की जिससे क्षेत्र की जनसांख्यिकी विकृत हो गई।
बाली भगत ने 2010 के एफसीआरए अधिनियम की भी निंदा की जिसने कांग्रेस सरकार के तहत विदेशी-वित्तपोषित संगठनों को बिना किसी रोक-टोक के काम करने की अनुमति दी जिनमें से कई बाद में राष्ट्रीय हितों के ख़िलाफ़ काम करते पाए गए। उन्होंने कहा कि 2012 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम ने मदरसों को बाहर कर दिया जिससे एक समानांतर शिक्षा प्रणाली बन गई जिसने सामाजिक विभाजन को और गहरा कर दिया।
बाली भगत ने कहा कि मोदी सरकार के तहत संविधान का सम्मान किया गया है, उसे बरकरार रखा गया है और उसके सही रूप में लागू किया गया है। उन्होंने कहा झूठे दावे करने से पहले कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने ही संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की है, नागरिकों को सशक्त बनाया है और देश को एकजुट किया है।