संविधान भारतीय संस्कृति से जुड़े दर्शन की व्याख्या करता है : जस्टिस प्रदीप श्रीवास्तव
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- Nov 26, 2024
लखनऊ, 26 नवम्बर (हि.स.)। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 'संविधान दिवस' के अवसर पर विधि विभाग द्वारा 'राष्ट्र निर्माण में भारतीय संविधान की प्रस्तावना का महत्व' विषय पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे। जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि संविधान भारतीय संस्कृति से जुड़े दर्शन की व्याख्या करता है, जहां विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् के सूत्र के साथ अपना परिवार मानने का संदेश हमारे राष्ट्र ने दिया है। हमारा संविधान सीधे तौर पर लोगों से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि समानता, स्वतंत्रता एवं न्याय इसके मूल सिद्धांत है।
कुलपति प्रो. एस.के. द्विवेदी ने कहा कि विद्यार्थियों को भारतीय संविधान का विश्लेषण कर उसे आत्मसात करना चाहिए कि किस प्रकार संविधान ने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के माध्यम से राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है। दूसरी ओर भारतीय संविधान हमें बताता है कि हमारी सरकार कैसे काम करती है । डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह ने बताया कि भारतीय संविधान कठोरता और लचीलेपन के मेल का एक अनूठा उदाहरण है। साथ ही इसमें दो सरकारें, शक्तियों का विभाजन, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संविधान की कठोरता, स्वतंत्र न्यायपालिका आदि विशेषताएं हैं जो एक संघीय प्रणाली को दर्शाती है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह, इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ विश्वविद्यालय की डायरेक्टर प्रो. विनीता कचेर, केंद्रीय संचार ब्यूरो,लखनऊ के डायरेक्टर श्री मनोज कुमार वर्मा एवं विधि विभाग, बीबीएयू की विभागाध्यक्ष प्रो. सुदर्शन वर्मा उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सर्वप्रथम विभागाध्यक्ष प्रो. सुदर्शन वर्मा ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रूपरेखा की जानकारी दी। इसके पश्चात डॉ. सूफिया अहमद द्वारा सभी को अतिथियों के परिचय से अवगत कराया।
हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय