सर्दी की दस्तक के साथ आई दुर्ग के सीताफल की मिठास

चित्तौड़गढ़, 12 नवंबर (हि.स.)। विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर देश-विदेश के सैलानी पर्यटन के लिए आते हैं। यहां के ऐतिहासिक भवनों को देख कर अभिभूत होते हैं। लेकिन चित्तौड़ दुर्ग का एक फल प्रसिद्ध है, जिसकी भी काफी डिमांड रहती है। सर्दी की दस्तक के साथ ही सीताफल की जम कर आवक चित्तौड़ दुर्ग पर हो रही है। यहां आने वाले सैलानियों के अलावा स्थानीय लोगों को भी दुर्ग के सीताफल काफी पसंद है। अपनी अलग ही विशेषताओं के कारण दुर्ग के सीताफल की डिमांड काफी रहती है। चित्तौड़गढ़ जिले के अलावा राजस्थान एवं अन्य राज्यों में भी यहां से सीताफल मिठाई के रूप में भेजी जाती हैं।

चित्तौड़ दुर्ग वैसे तो पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन कुछ जमीन मंदिर की भी है। ऐसे में या अलग-अलग बाड़े बने हुए हैं। सीताफल के बाड़ों की पुरातत्व विभाग की ओर से ठेके दिए जाते हैं। इस साल मानसून की पर्याप्त बरसात के कारण सीताफल तो काफी आए लेकिन अभी नवंबर में भी दिन के समय गर्मी का आलम है। ऐसे में सीताफल की फसल जल्दी खत्म होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में सीताफल के व्यवसाय से जुड़े जो लोग हैं वह अपनी फसल को जल्दी समेटने में लगे हुए हैं यहां के सीताफल की विशेषता यह है की पूरी तरह से प्राकृतिक है। इसमें ना तो किसी प्रकार की दवाओं का उपयोग होता है ना ही हाइब्रिड ब्रिज उपयोग में लिया गया है। वर्षों से जो पौधे लगे हुए थे, वही पौधे आगे से आगे बढ़ते जा रहे हैं। चित्तौड़ दुर्ग पर करीब डेढ़ से दो लाख तक सीताफल के पौधे हैं। ऐसे में काफी मात्रा में सीताफल की पैदावार होती है। स्थानीय निवासी एवं व्यवसाई दीपक राजोरा ने बताया कि उनके परदादा के समय से परिवार सीताफल की खेती करता आ रहा है। यहां के सीताफल काफी मीठे हैं। साथ ही पल्प भी अन्य स्थानों के मुकाबले ज्यादा होता है। इस कारण चित्तौड़ दुर्ग के सीताफल की मांग रहती है। यहां से मिठाई के रूप में सीताफल बाहर भेजे जाते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल

   

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