धनतेरस पर्व से स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दरबार में भक्तों को मिलेगा खजाना, इस बार पॉच दिन मिलेगा दर्शन
- Admin Admin
- Oct 25, 2024
वाराणसी, 25 अक्टूबर (हि.स.)। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस पर्व (29 अक्टूबर) से स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दरबार में भक्तों को खजाना मिलेगा। दरबार में धनतेरस से लेकर दो नवम्बर अन्नकूट महोत्सव तक भक्तों में खजाने के रूप में सिक्कों का वितरण किया जाएगा। श्रद्धालु दरबार में पांच दिनों तक माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी,महालक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे।
शुक्रवार को बांसफाटक स्थित काशी अन्नपूर्णा क्षेत्र के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में महंत शंकर पुरी ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों पर कृपा बरसाएंगी। धनतेरस पर्व के मंगल बेला में तड़के तीन बजे से माता रानी के विग्रह का पूजन शुरू होगा । पौने पांच तक सविधि पूजन होगा। इसके बाद सुबह पॉच बजे आम भक्तों क़े लिये मंदिर का पट खुलेगा।
महंत शंकरपुरी ने बताया कि धनतेरस पर्व पर इस बार बहुत ही शुभ योग निर्मित हो रहा है। देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा। उन्होंने बताया कि स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का वर्ष में सिर्फ चार दिनों तक भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता था, लेकिन दूसरी बार अवसर है श्रद्धालु पांच दिन स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि अन्तिम दिन 02 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव पर दरबार में लड्डूओं की झांकी सजेगी। वहीं, रात्रि 11.30 बजे माता की महाआरती होगी, इसके पश्चात एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा।
—श्रद्धालु बांसफाटक से गेट नंबर एक ढुंढिराज गणेश से मन्दिर पहुंचेंगे
धनतेरस पर्व पर श्रद्धालु अन्नपूर्णा मंदिर में अस्थायी सीढ़ियों से स्वर्णमयी माता के दरबार में पहुंचेंगे। दरबार में दर्शन कर श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकलेंगे। मंदिर के प्रबंधक काशी मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा के लिए मंदिर में कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है। कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी की जाएगी। मंदिर आने वाले सभी दर्शनार्थियों को सुगम दर्शन के लिए जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे । महंत शंकरपुरी के अनुसार मां अन्नपूर्णा धन की अधिष्ठात्री हैं। स्कंदपुराण के काशीखण्ड में उल्लेख है कि भगवान बाबा विश्वेश्वर गृहस्थ हैं और भवानी उनकी गृहस्थी चलाती हैं। अत: काशीवासियों के योग-क्षेम का भार इन्हीं पर है। ब्रह्मवैवर्त्तपुराण के काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी