गोविंद देवजी मंदिर में देवउठनी एकादशी की तैयारियां शुरू

जयपुर, 11 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक मास में शहर के आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। तड़के ही मंगला आरती में भक्तों का आना शुरू हो जाता है, जो शयन आरती तक चलता है। कार्तिक मास में व्रत रखने वाली महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष श्रद्धालु भी गोविंद देव जी के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं। मंदिर में देवउठनी एकादशी की तैयारियां शुरू हो चुकी है। मंगलवार को आराध्य देव गोविंद देव मंदिर में देवउठनी एकादशी महोत्सव मनाया जाएगा।

देवउठनी एकादशी पर छोटी काशी के मंदिरों में देवउठनी एकादशी पर शंख, घंटे-घडिय़ाल बजाकर देवों को उठाया जाएगा। इस दौरान उतिष्ठ उतिष्ठ गोविंद उतिष्ठ गरुड़ध्वज उतिष्ठ, कमलकांत त्रैलोक्यं मंगलम कुरु...मंत्र का उच्चारण किया जाएगा।

प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में मंगलवार सुबह धूप झांकी के बाद शालिग्राम जी को चौकी सहित मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी जी मंच पर विराजमान किया जाएगा। यहां शालिग्राम जी और तुलसी जी का पंचामृत अभिषेक कर पूजन होगा। इसके बाद आरती होगी। तुलसी जी की चार परिक्रमा के बाद शालिग्राम जी को चांदी के रथ में विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कराकर पुनः गर्भगृह में विराजमान कराया जाएगा। इस दौरान ठाकुरजी को लाल जामा पोशाक धारण कराकर विशेष श्रंगार किया जाएगा। गोविंददेवजी के मातहत मंदिर राधा माधवजी कनकघाटी, रामगंज चौपड़ स्थित मुरली मनोहरजी सहित अन्य मंदिरों में भी देवउठनी एकादशी पर तुलसी-सालिगरामजी विवाह होगा। इसके अलावा सुभाष चौक स्थित पानों का दरीबा सरस निकुंज में महंत अलबेली माधुरी शरण के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार को सुबह पीठ के आचार्यों की रचित पदों की मधुर स्वर लहरियों के साथ जगाया गया। साथ ही गलता जी में भी देव प्रबोधिनी एकादशी सीतारामजी, रामकुमार, राम-गोपाल मंदिर सहित पीठ के सभी मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में ठाकुरजी को मंत्र ध्वनि के साथ जगा कर अभिषेक व पूजा-आरती के बाद भोग लगाया जाएगा।

बाजारों में खरीदारी का दौर चरम पर

वहीं देवउठनी एकादशी से पहले ही बाजारों में खरीदारी का दौर चरम पर है। चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर विवाह का अबूझ मुहूर्त होने से शहरभर में शादियों की धूम रहेगी। इस मौके को लेकर व्यापारी भी पूरी तरह तैयार हैं। देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के जागने के साथ ही मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। राजधानी जयपुर में परकोटे के प्रमुख बाजार हो या फिर शॉपिंग मॉल दुल्हन की ज्वैलरी से लेकर शादी में गिफ्टर्स देने के आइटम की विभिन्न रेंज उपलब्ध है। वहीं शादी वाले घरों में अभी से मंगल गीत गूंजने लगे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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