हिसार, 28 जनवरी (हि.स.)। सर्वाइकल कैंसर रोकथाम सप्ताह के अवसर पर जिंदल अस्पताल
में नि:शुल्क जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर के दौरान सर्वाइकल कैंसर के बारे
में जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ लोगों को रोकथाम योग्य बीमारी के बारे में जानकारी
दी गयी और सर्वाइकल कैंसर की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
चिकित्सकों ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर 35 से 70 वर्ष की आयु की महिलाओं में
सबसे आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र की महिला को प्रभावित कर सकता है। अगर समय रहते
इसका पता चल जाए तो इसे रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है। सफेद पदार्थ
का आना, प्राइवेट पार्ट से खुजली या बदबू आने या पेशाब संबंधी समस्याओं, रजोनिवृति
के बाद मासिक धर्म आने पर तुरंत जांच करवानी चाहिए। यह सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती लक्षण
हो सकते है। इसके अतिरिक्त महिलाओं को माहवारी सम्बन्धी समस्याएं जैसे कि माहवारी की
अनियमितता, पेट दर्द, खून की गांठों का आना या अधिक रक्त स्त्राव होने पर तुरंत स्त्री
रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
चिकित्सकों ने बताया कि ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) सर्वाइकल कैंसर के लगभग
95 से 98 प्रतिशत मरीजों में जिम्मेदार है।
ज़्यादातर लोगों को कभी न कभी एचपीवी का सामना करना पड़ता है, और यह अक्सर बिना किसी
जटिलता के अपने आप ठीक हो जाता है। हालाँकि, अगर आपके शरीर में एचपीवी का कोई उच्च
जोखिम वाला प्रकार है जो लंबे समय तक बना रहता है, तो इससे सर्वाइकल कैंसर होने की
संभावना बढ़ सकती है। 9 से 14 वर्ष की आयु में लड़कियों को कैंसर की। एचपीवी वैक्सीन
अवश्य लगवाए॥ एचपीवी टीकाकरण से इस बीमारी के होने का जोखिम 95 प्रतिशत से ज़्यादा
कम हो जाता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके अलावा यह वैक्सीन 14 से 45 वर्ष
तक भी बचाव करती है लेकिन अगर महिला विवाहित हो और उम्र 35 वर्ष से ज्यादा हो तो सलाना
अपने सर्विक्स की जांच कराएं।
शिविर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. शिल्पा खेतरपाल, डा. श्वेता अग्रवाल और
डा. अंजली शर्मा ने अपनी सेवाएं दी और लोगो को जागरूक किया और बताया कि यह प्रयास हमारा
जारी रहेगा। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो और अपनी देश की महिलाओं को सर्वाइकल
कैंसर मुक्त बनाये।