पुष्प वर्षा के साथ नगर परिक्रमा का दूनवासियों ने किया स्वागत
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- Mar 21, 2025

-25,000 संगतें रही शामिल, जयकारों से गूंजी दून घाटी
देहरादून, 21 मार्च (हि.स.)। दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज की अगुआई आज नगर परिक्रमा की गई। श्री दरबार साहिब से सुबह 7ः30 बजे नगर परिक्रमा शुरुआत हुई। इस दाैरान श्री गुरु राम राय महाराज व श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज के जयकाराें से दून घाटी गूंज उठी। श्री गुरु राम राय जी महाराज के जन्मदिवस (श्री झण्डे जी आरोहण के तीसरे दिन) के तीसरे दिन आयोजित भजन कीर्तन के बीच श्रद्धालुओं को श्री दरबार साहिब के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने आशीर्वाद दिया। दूनवासियों ने ऐतिहासिक नगर परिक्रमा के रूट पर जगह जगह लंगर व खान-पान की समुचित व्यवस्था की।
नगर परिक्रमा कांवली रोड होते हुए श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, बिंदाल पहुंची। यहां संगत को चने, मुरमुरे व गुड़ का प्रसाद वितरित किया गया। यहां से नगर परिक्रमा तिलक रोड, टैगोर विला, घण्टाघर पर पहुंची। नगर परिक्रमा के घण्टाघर पहुंचने पर कुछ समय के लिए मानो सबकुछ थम सा गया। ढोल की थाप पर दूनवासियों ने पूरे स्नेहपूर्वक बाहें फैलाकर गुरु संगत का पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया।
नगर परिक्रमा ने घण्टाघर से पल्टन बाजार होते हुए लक्खीबाग पुलिस चौकी के सामने से होते हुए रीठा मण्डी में प्रवेश किया, यहां से नगर परिक्रमा में शामिल संगतें व दूनवासी श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, बॉम्बे बाग पहुंचे, यहां पर संगतों को गन्ने का प्रसाद बांटा गया। नगर परिक्रमा में 25 हजार से अधिक संगत शामिल रहीं। इसके बाद नगर परिक्रमा में शामिल संगतें समाधि स्थल श्रीमहंत साहिबान पर माथा टेकेने क लिए पहुंची। दोपहर 11ः45 बजे नगर परिक्रमा श्री दरबार साहिब पहुंचकर सम्पन्न हुई। श्री दरबार साहिब में अपराह्न 5 बजे मसंदों व संगत की विदाई हुई। शाम 6 बजे खुशी का प्रसाद वितरित किया गया।
अन्य राज्यों से आई अधिकांश संगतें वापस लौटी
दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज में खुशी का प्रसाद वितरित होने के बाद शुक्रवार को अन्य राज्यों से आई अधिकांश संगतें अपने जनपदों के लिए लौट गईं।
गुरु के रंग में रंगी रहीं संगत
लाई-लाई-लाई-लाई-लाई बाबे ने फुलां दी बरखा लाई...,आज दी घड़ी बाबा जी रोज़-रोज़ आवे..., मेला खुशियां दां आंदा है हर साल मेला खुशियां दा..., फुल बरसांदी जांवा राह तेरे फुल बरसांदी जांवा, फड लै मेरियां बांवा दातया फुल बरसांदी जांवा.., हर इक दी ओ सुणदां, ऐसे दाता मेहर लगाई, जैसे कीर्तनों पर दिनभर संगतें नाचती रही।
हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pokhriyal