इंग्लिश मीडियम स्कूल भाजपा सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ नहीं, अनुरूप हैं- डोटासरा
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- Jan 04, 2025
जयपुर, 4 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को लेकर चल रहे विवाद पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय शुरू किए गए इन स्कूलों को बेहतर करने की बजाय भाजपा सरकार इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
डोटासरा ने इस मुद्दे पर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा सरकार की नीतियों और समीक्षा कमेटी के गठन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने इसे कांग्रेस सरकार की लोकप्रिय योजनाओं को खत्म करने की साजिश बताया।
डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किए थे, जिससे लाखों गरीब बच्चों और बेटियों को मुफ्त में इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई का मौका मिला। हमने इसके लिए अलग से कैडर बनाया और इन स्कूलों को पूरी तरह से व्यवस्थित किया। इन स्कूलों का बेहतरीकरण करना चाहिए था, लेकिन भाजपा ने इसे कमजोर कर दिया।
डोटासरा ने कहा कि समीक्षा के लिए कमेटी एक साल बाद क्यों बनाई गई? एक साल में भाजपा सरकार ने इन स्कूलों के लिए एक भी भर्ती नहीं की। ये स्कूल भाजपा सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ नहीं, बल्कि इसके अनुरूप हैं। फिर इन्हें खत्म करने की साजिश क्यों हो रही है?
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को आड़े हाथों लेते हुए डोटासरा ने कहा कि शिक्षा मंत्री अनर्गल बयान दे रहे हैं। उन्हें यह अधिकार किसने दिया? शिक्षा विभाग अब यू-टर्न विभाग बन गया है। उन्होंने कहा कि समीक्षा यह करनी चाहिए कि शिक्षा मंत्री की कुर्सी कैसे बचाई जाए, शिक्षा मंत्री को अनर्गल बयान के लिए किसने अधिकृत कर रखा है। उन्होंने कहा कि मंत्री-विधायकों के बयान सीएमओ से जारी होते हैं, गोवर्धन वर्मा का बयान भी सीएमओ से जारी किया गया है, जबकि गोवर्धन वर्मा को पता ही नहीं कि उनके नाम से बयान जारी कर दिया।
प्रेसवार्ता में डोटासरा ने कहा कि सुमित गोदारा जब विधायक थे, तब उन्होंने मुझसे इंग्लिश मीडियम स्कूल मांगे थे। गजेंद्र खींवसर रोज अंग्रेजी बोलते हैं, शायद विदेश में पढ़े होंगे। खुद मुख्यमंत्री और दिलावर के क्षेत्र में भी इंग्लिश मीडियम स्कूल खुले हैं। फिर अब 12 महीने में इन स्कूलों को लेकर क्या परेशानी हो गई?
जब भाजपा की नई शिक्षा नीति में भी अंग्रेजी को प्राथमिकता दी गई है, तो फिर महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने की कवायद क्यों हो रही है? ये स्कूल गरीब बच्चों के लिए वरदान हैं।
समीक्षा कमेटी के संयोजक बनाए गए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा पर डोटासरा ने निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें पहले अपने दिल्ली वाले किस्सों की समीक्षा करनी चाहिए। फिर बच्चों की इंग्लिश मीडियम स्कूल की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि हमने इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू कर लाखों बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाया। भाजपा को इन स्कूलों की समीक्षा के बजाय इन्हें और मजबूत करना चाहिए था।
डोटासरा ने चुनौती देते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में कहीं से भी यह शिकायत नहीं आई कि हमारे यह रिजल्ट अच्छा नहीं रहा है। अत: इसे बंद कर दीजिए। कहीं किसी गांव से कोई ज्ञापन किसी मंत्री, संतरी या मुख्यमंत्री को दिया गया हो कि हमारे यहां से अग्रेजी माध्यम स्कूल को बंद कर दिया जाए तो मुझे बता दीजिए। ऐसा कहीं नही मिला।
सरकार को घेरते हुए डोटासरा ने कहा कि शिक्षक नहीं देना, इन्फ्रास्ट्रक्चर का पैसा नहीं देना। सरकार का इरादा ठीक नजर नहीं आता है। यह कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी की सरकार की बहुत ही अच्छी शुरूआत थी।
गरीब का बच्चा भी अंग्रेजी सरकारी स्कूल में पढ़ सकता है। डोटासरा ने कहा कि मैं जब शिक्षा मंत्री था तो मैंने उस वक्त के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से निवेदन किया था कि जनता की यह मांग है कि गरीब का बेटा 70 साल की आजादी के बाद अंग्रेजी सरकारी स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सकता है। इस पर उस वक्त के मुख्यमंत्री ने इस बात की इजाजत दी।
डोटासरा ने बताया कि इस बात की अनुमति मिलने के बाद हमने इसके नियम बना दिए, कैडर बना दिए, नई नियुक्ति कर दी। कम्प्यूटर, अन्वेषक की भर्ती कर दी। सब कुछ कर दिया। केवल इनको टीचर को देना था। साथ ही और इसका सुदृढ़ीकरण करना था। इसके बाद अंग्रेजी स्कूलों में नामांकन की संख्या 10 लाख से उपर तक जाती। मेरा दावा है।
डोटासरा ने सवाल किया कि शिक्षा मंत्री, आपको किसने निर्देश दे रखा है कि अनर्गल बयानबाजी करेंगे। शिक्षकों का अपमान करेंगे। निजी स्कूलों में थोथे भाषण देते हैं कि मैं निजी स्कूलों को बहुत पसंद करता हूं। निजी स्कूलों को बेजा फायदा देने का षड़यंत्र रच रहे हैं। इनकी इस सोच की वजह से इस साल सरकारी स्कूलों में नामांकन 1.75 तक घट गया है।
बेइमानी को करेंगे उजागर
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा जनता के साथ कंधे से कंधा मिलकर संघर्ष करेंगे। शिक्षा मंत्री के खिलाफ सड़क और सदन दोनों जगह आवाज बुलंद करेंगे। इनकी बेइमानी को उजागर करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित