हिसार : कृषि क्षेत्र में इंजीनियरिंग व ब्लॉक चेन तकनीक समय की मांग : डॉ. संजय कुमार

नई तकनीक से पनीर की गुणवत्ता परखना आसान होगा, पनीर के खराब होने

पर करेगी सचेत

हिसार, 1 फरवरी (हि.स.)। एग्रीकल्चर साइंटिस्ट बोर्ड के चेयरमैन

डॉ. संजय कुमार का कहना है कि कृषि क्षेत्र में इंजीनियरिंग व ब्लॉक चेन तकनीक का उपयोग

समय की मांग है। उन्होंने विकसित भारत 2047 की चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

डॉ. संजय कुमार शनिवार को यहां के केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र

के स्थापना दिवस समारोह में आए थे। उन्होंने कहा कि नई तकनीक से पनीर की गुणवत्ता परखना

आसान होगा। यह तकनीक न केवल पनीर किस भैंस के दूध से बना है यह पता लगा सकेगी, बल्कि

पनीर के खराब होने पर इसका रंग बदलकर उपभोक्ताओं को सचेत भी करेगी। बढ़ती आबादी के

कारण पशु चारे के लिए जमीन की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। इसके समाधान के लिए हाइड्रोपोनिक

जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना आवश्यक है।

सीआईआरबी ने 2.90 लाख सीमन डोज किए तैयार

डॉ. संजय कुमार ने कहा कि जोहड़ों की घटती संख्या के विकल्प और पशुओं

के लिए स्वच्छ जल, पोषक चारा व बेहतर आवास की व्यवस्था करना जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय

बाजार में भारतीय डेयरी उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए दूध उत्पादन में गुणवत्ता

और पैकेजिंग पर विशेष ध्यान देना होगा। गत वर्ष सीआईआरबी ने 2.90 लाख सीमन डोज तैयार

किए, जिनमें से 2 लाख डोज पशुपालकों को मुफ्त दिए गए, जो भैंसों की नस्ल सुधार में

महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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