कविता मिलन में गूँजी कविताओं की अनुगूंज.

 
 
 
*साहित्यिक रंग में रंगा मोहाली का फाल्कन व्यू कैंपस
 
चण्डीगढ़: संवाद साहित्य मंच द्वारा मोहाली के सेक्टर 66 स्थित फाल्कन व्यू कैंपस में आयोजित ‘कविता मिलन’ कार्यक्रम में कविताओं के विविध रंगों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इंग्लैंड से आए प्रख्यात कवि एवं नाटककार सुरेश पुष्पाकर ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जबकि आचार्यकुल संस्था के प्रधान के.के. शारदा विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम का सुचारू संचालन कवयित्री परमिंदर सोनी ने किया। मंच के अध्यक्ष एवं कवि प्रेम विज ने सभी अतिथियों और कवियों का स्वागत किया।
 
सुरेश पुष्पाकर ने ‘कविता मिलन’ पर विशेष रचना प्रस्तुत करते हुए कहा:
"कविता है शाश्वत, कविता है प्रकाश, कविता में गूँजता युगों का इतिहास। 
शब्दों के संग हो मन का विलय, यही है कविता-मिलन का अभय।" 
परमिंदर सोनी ने मानवीय संवेदनाओं पर प्रहार करते हुए कहा: "घनघोर जंगलों में, घिरी हुई वैशामिकता से, लुप्त होती मानवीयता से, मुंह छिपाए जी रही हूं मैं।" प्रेम विज ने अपनी हास्य कविता में उम्रदराज़ी की उलझनों को इस तरह व्यक्त किया: "एटीएम से पैसे निकालने जाता हूँ, जल्दबाजी में कार्ड घर ही भूल आता हूँ।" विनोद खन्ना ने अपनी ग़ज़ल में दोस्ती की अहमियत को यूँ बयां किया: "चंद दोस्त ही तो हैं जो मुझे पहचानते हैं, मेरे हर राज को वो बखूबी जानते हैं।"  हरभजन सिंह ने समाज की सच्चाइयों को उकेरते हुए कहा: "अज दी सीता नूंह रावण दा, अज दी द्रौपदी नूंह चीर-हरण दा, अजे वी डर है। डॉ. जसप्रीत फ़लक ने आने वाली ग्रीष्म ऋतु की बात यूँ की: फ़रवरी की धूप में सीढ़ियों पर बैठ कर शरद और ग्रीष्म ऋतु के मध्य पुल बनाती धूप के नाम लिख रही हूँ 'पाती' । विमला गुगलानी ने अपने भाव कुछ यूं व्यक्त किए,” चाहते हैं तुमको भूलना, पर भूल नहीं पाते, हादसों को भूल जाएं, हम इतने निडर भी नहीं” " कवयित्री संतोष गर्ग ने कहा: "रंगों का त्योहार मनाएं, हलवा, पूरी, गुझिया खाएं।"
 
कार्यक्रम में डॉ. नीरू मित्तल 'नीर' जाने माने रंगकर्मी श्री विजय कपूर, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. संगीता शर्मा कुंदरा, डॉ. अनीश गर्ग, राजिंदर कौर सराओ, रेखा मित्तल, पल्लवी रामपाल,  कंवलजीत सिंह सोनी, डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक, ज्योति सोनी, राज विज, अमरजीत सिंह सोनी, रविन्द्र सिंह, गणेश दत्त सहित अन्य कवियों ने भी अपनी सशक्त रचनाओं से श्रोताओं को प्रभावित किया।
 
मुख्य अतिथि सुरेश पुष्पाकर ने अपने संबोधन में कहा, "यह काव्य-संगम केवल शब्दों का विन्यास नहीं, बल्कि भावनाओं का जीवंत उत्सव है, जो हमारी सांस्कृतिक चेतना को पोषित करता है।"
 
विशिष्ट अतिथि के.के. शारदा ने कहा, "सभी कवियों की रचनाएँ समकालीन समस्याओं और संवेदनाओं का सजीव चित्रण करती हैं।"
 
डॉ. नीरू मित्तल नीर ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए संवाद साहित्य मंच को बधाई एवं साहित्यिक सांझ को स्मरणीय बनाने वाले सभी कवियों को शुभकामनाएँ दीं।
 
 
 
 

   

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