वनाग्नि प्रबंधन: उत्तराखंड ने केंद्र को भेजी पांच साल की कार्ययोजना

देहरादून, 02 जनवरी (हि.स.)। वन विभाग ने प्रदेश में वनाग्नि रोकथाम के लिए पांच साल की कार्ययोजना तैयार कर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर तैयार इस योजना के तहत सात नई पिरुल ब्रिकेट्स यूनिट स्थापित की जाएंगी। इससे पिरुल एकत्रित कर वनाग्नि रोकथाम में मदद मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

प्रदेश में वनाग्नि का मुख्य कारण चीड़ के वनों की अधिकता है, जो वन विभाग के नियंत्रणाधीन क्षेत्र का लगभग 15.25 प्रतिशत हिस्सा हैं। पिरुल (चीड़ की पत्तियां) एकत्रित कर इसे पैलेट्स और ब्रिकेट्स बनाने में प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है। विभाग वर्तमान में प्रति कुंतल तीन रुपये की दर से पिरुल एकत्रित करने का भुगतान करता है, जिसे बढ़ाने की योजना है।

गत वर्ष विभाग ने स्वयं सहायता समूहों के जरिए, 38,299.48 कुंतल पिरुल (चीड़ की पत्तियां) एकत्रित किया, जिसके बदले समूहों को 1.13 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।

अब यूनिट बढ़ाने की तैयारी:-

अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक पिरुल एकत्रीकरण से वनाग्नि रोकथाम में प्रभावी कमी आती है। इसलिए वर्तमान में चल रही ब्रेकेटस यूनिट की संख्या बढ़ाकर 12 किए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर, जल्द ही अल्मोड़ा, चम्पावत, गढ़वाल और नरेंद्र नगर वन प्रभाग में सात नई यूनिट स्थापित हो जाएंगी। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी हो सकेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वनाग्नि रोकथाम के लिए, विभागों को समय से तैयारी करने को कहा गया है। प्रदेश में सात जगह नई ब्रेकेटस यूनिट बनने से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, साथ ही पिरुल से लगने वाली वनाग्नि में भी प्रभावी कमी आएगी। इसके साथ ही वनाग्नि रोकथाम के लिए भारत सरकार के पास पांच साल की कार्ययोजना तैयार करके भेजी गई है।

मुख्य तथ्य:-15 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र में हैं चीड़ वन।-05 स्थानों पर वर्तमान में हैं ब्रिकेट्स यूनिट।

-05 साल की कार्ययोजना भेजी गई केन्द्र सरकार के पास।

1.13 करोड़ रुपए गत वर्ष स्वयं सहायता समूहों को दिए गए पिरुल जमा करने पर।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

   

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