बीकानेर, 23 नवंबर (हि.स.)। रमक झमक स्थित भैरव दरबार में तीन दिवसीय भैरव जन्मोत्सव( भैरव अष्टमी महोत्सव) के समापन समारोह पर अनेक आयोजन दिन भर हुए। सुबह गुलाब के पुष्प से भैरव के स्तोत्रम से अर्चन किया गया। अर्चन में सोहन महाराज उपाध्याय, हिम्मताराम राजपुरोहित, शांतिलाल कोचर, प्रदीप तंवर, प्रदीप शर्मा, अंजली तंवर व शिवानी शर्मा ने पुष्पों से भैरवनाथ को सजाया।
ततपश्चात संत भावनाथ महाराज के सानिध्य में भैरव साधक प्रहलाद ओझा 'भैरुं' ने पत्निक यज्ञ कुण्ड में आहुतियां दी गई।
यज्ञाचार्य पंडित गणेश छंगाणी व उनकी टीम ने भैरवनाथ के एक हजार नाम, रुद्र सुक्त के साथ भैरव शतनाम की विशेष आहुतियां दिलाई। प्रहलाद ओझा 'भैरुं' ने भैरवनाथ से सामूहिक प्रार्थना 'म्हे तो जाओ किसके द्वार, म्हेतो आया थोरे द्वार, भैरुं म्होरा काम सार' करूणा भरी वाणी में की व सबसे भी करवाई जिससे सब भावुक हो गए।
रमक झमक भैरव दरबार में भैरव अनुष्ठान के समापन पर संत भावनाथ महाराज ने कहा कि शहर परकोटा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक चेतना का केंद्र है और रमक झमक द्वारा सामाजिक के साथ आध्यात्मिक आयोजन में अग्रणीय है इससे बच्चों में सेवा व संस्कार के भाव उपजते है। सोहन महाराज उपाध्याय ने कहा कि बीकानेर की भूमि ही भैरव भूमि है जहाँ चारों खूंट भैरव है जो इस क्षेत्र की रक्षा करने वाले क्षेत्र पाल है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव