आरएसएस मुखर्जी नगर ने विजयादशमी पथ संचलन आयोजित कर राष्ट्र की 100 वर्ष की निष्ठापूर्ण सेवा का किया स्मरण
- Neha Gupta
- Oct 26, 2025

जम्मू, 26 अक्टूबर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुखर्जी नगर, जम्मू द्वारा राष्ट्र और समाज की 100 वर्ष की निःस्वार्थ सेवा के उपलक्ष्य में भव्य विजयादशमी पथ संचलन का आयोजन किया गया। लगभग 200 गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने पूर्ण अनुशासन के साथ कबीर शाखा (पुंछ हाउस, तालाब टिल्लो) से संचलन प्रारंभ किया। यह संचलन तालाब टिल्लो के मुख्य बाजारों और आवासीय क्षेत्रों से होते हुए अखनूर रोड व कमला पैलेस लिंक रोड मार्ग से गुजरकर पुनः कबीर शाखा पार्क पर संपन्न हुआ।
संपूर्ण मार्ग पर अनुशासित पंक्तियों में चलते स्वयंसेवकों के उत्साहपूर्ण प्रदर्शन ने नागरिकों का ध्यान आकर्षित किया। अनेक स्थानों पर स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया।
संचलन प्रारंभ से संघ प्रचारक संजय जो वर्तमान में जम्मू प्रांत में कॉलेज विद्यार्थी प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं ने बौधिक (बौद्धिक संबोधन) दिया। उन्होंने आरएसएस के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी की उस राष्ट्र एकता की भावना का उल्लेख किया जिसके साथ उन्होंने विजयादशमी 1925 को संघ की स्थापना की थी।
संजय ने कहा कि वर्तमान समय में संघ की विचारधारा और भी प्रासंगिक हो गई है क्योंकि यह चरित्र निर्माण, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के मार्ग पर समाज को प्रेरित कर रही है। उन्होंने संघ के ‘पंच परिवर्तन’, सामाजिक समरसता (समाजिक समरसता), परिवार जागरण (कुटुंब प्रबोधन), पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण), नागरिक कर्तव्य (नागरिक कर्तव्य) और स्वदेशी (स्वावलंबन) की व्याख्या करते हुए बताया कि ये पांच आयाम संघ के शताब्दी वर्ष की दिशा तय कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संघ का कार्य देशभक्ति, अनुशासन और सेवा भावना से नागरिकों को प्रेरित करना है। संघ के स्वयंसेवक समाज के हर वर्ग तक पहुँच कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं और पीड़ित मानवता की सेवा कर रहे हैं, जिससे मां भारती को पुनः विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सके।
इस अवसर पर मुखर्जी ज़िला संघचालक दर्शन, नगर कार्यवाह सुरेन्द्र, ज़िला व्यवस्था प्रमुख सहदेव, राजीव तथा अनेक अन्य स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
यह पथ सञ्चालन संघ की राष्ट्र सेवा, एकता और आत्मनिर्भर भारत के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण रहा, जिसने संघ के सौ वर्षीय संकल्प (एक सशक्त, संगठित और समरस भारत के निर्माण का मिशन) को पुनः प्रकट किया।



