हेल्थकॉन 2025: विशेषज्ञों ने एआई-संचालित चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार पर दिया जोर : कुलपति
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- Mar 02, 2025
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कानपुर,02 मार्च (हि. स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई ऑडिटोरियम में स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हेल्थकॉन 2025 एकीकृत स्वास्थ्य सेवा के भविष्य पर विचारोत्तेजक चर्चाओं के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह जानकारी रविवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने दी।
उन्होंने बताया कि एकीकृत स्वास्थ्य सेवा का भविष्य,विभिन्न विषयों में तालमेल थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख चिकित्सा पेशेवरों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को स्वास्थ्य सेवा को बदलने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अंतःविषय सहयोग और अनुसंधान की भूमिका का पता लगाने के लिए एक साथ लाया गया। सम्मेलन ने चिकित्सा विज्ञान में भारत के विरोधाभास पर जोर दिया - दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों के होने के बावजूद, देश चिकित्सा अनुसंधान प्रकाशनों और एआई-संचालित स्वास्थ्य सेवा समाधानों में पिछड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इस अंतर को पाटने और भारत को स्वास्थ्य सेवा नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए चिकित्सा के साथ एआई, डेटा विज्ञान और इंजीनियरिंग के मजबूत एकीकरण का आह्वान किया।
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन और माँ सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसके बाद डॉ. दिग्विजय शर्मा ने स्वागत भाषण दिया, उन्होंने बताया कि भारत में विश्वस्तरीय चिकित्सक तो हैं, लेकिन शोध प्रकाशनों, डेटा विश्लेषण और तकनीकी प्रगति के मामले में यह पिछड़ा हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा, भारत को नैदानिक विशेषज्ञता से आगे बढ़कर एआई-आधारित चिकित्सा अनुसंधान को मजबूत करना चाहिए। संस्थानों को इस अंतर को पाटने के लिए एआई-संचालित निदान और उपचार समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने एक भारतीय दर्शन का हवाला देते हुए छात्रों और शोधकर्ताओं को ज्ञान की खोज में लगे रहने के लिए प्रेरित किया, जो दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ता है, वह नई ऊंचाइयों को छूता है। सूरज कभी स्थिर नहीं रहता - वह आगे बढ़ता रहता है। इसलिए, हमें भी प्रगति करते रहना चाहिए।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में युवा शोधकर्ताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, उन्होंने प्रज्वलित मन की शक्ति पर जोर दिया और छात्रों को शोध को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, सपने वे नहीं होते जो हम नींद में देखते हैं, बल्कि वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते। युवा दिमागों को स्वास्थ्य सेवा में सार्थक बदलाव लाने के लिए शोध को एक मिशन के रूप में अपनाना चाहिए।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. रिचा गिरि ने आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की और स्वास्थ्य सेवा में अंतःविषय शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
सीएसजेएमयू के प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी ने इंजीनियरों और चिकित्सा पेशेवरों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विज्ञान में प्रगति ने चिकित्सा प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व नवाचारों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा, चिकित्सा का भविष्य केवल डॉक्टरों तक सीमित नहीं है; इसके लिए इंजीनियरों, डेटा वैज्ञानिकों और एआई विशेषज्ञों के साथ मजबूत सहयोग की आवश्यकता है।
सम्मेलन का समापन हेल्थकॉन 2025 पुस्तिका और स्मारिका के विमोचन के साथ हुआ। सीएसजेएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार यादव ने सभी गणमान्य लोगों के योगदान की सराहना करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद