केंद्रीय बजट से किसानों-बागवानों को उम्मीदें, सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने और जीएसटी में राहत की मांग
- Admin Admin
- Jan 29, 2025
शिमला, 29 जनवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के किसान और बागवान केंद्रीय बजट 2025-26 से कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं। एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। प्रदेश की आर्थिकी में 5000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देने वाली सेब बागवानी से जुड़े बागवानों को इस बजट से कई महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद है। हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बुधवार को बताया कि किसानों और बागवानों की मांगों को प्री-बजट बैठक में केंद्र सरकार के समक्ष रखा गया है।
सेब की पैकेजिंग और बागवानी उपकरणों पर जीएसटी कम करने की मांग
हरीश चौहान ने बताया कि कीटनाशकों, खादों, सेब की पैकेजिंग सामग्री और बागवानी उपकरणों पर जीएसटी लगाया जाता है जिससे किसानों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि बजट में इन पर लगने वाले जीएसटी में राहत दी जाए ताकि बागवानों को सीधा फायदा मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो।
सेब के आयात शुल्क को 100 फ़ीसदी करने की जरूरत
संयुक्त किसान मंच ने सरकार से सेब के आयात शुल्क को 100 प्रतिशत करने की मांग की है। चौहान ने बताया कि भारतीय सेब उत्पादकों को 44 देशों से आयात होने वाले सेब की कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। यदि सरकार आयात शुल्क नहीं बढ़ाती है, तो इससे घरेलू बागवानों को भारी नुकसान होगा। आयातित सेब की कम कीमतों के कारण हिमाचल के किसानों को अपने उत्पाद की उचित कीमत नहीं मिल रही है।
सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 100 रुपये प्रति किलो हो
संयुक्त किसान मंच ने सेब के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 100 रुपये प्रति किलो करने की मांग उठाई है। चौहान का कहना है कि यदि सरकार एमएसपी तय नहीं करती तो बाहर से आने वाले सस्ते सेब के कारण हिमाचली बागवानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे प्रदेश की बागवानी आधारित अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी।
एमआईएस का बजट बढ़ाने की मांग
संयुक्त किसान मंच ने चिंता व्यक्त की है कि सरकार द्वारा एमआईएस का बजट लगातार घटाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि यह योजना सेब की खरीद में अहम भूमिका निभाती है और यदि सरकार इसमें कटौती करती है तो बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए सरकार को एमआईएस योजना का बजट बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।
सेब मार्केटिंग सिस्टम में सुधार और ऑटोमेटिक ग्रेडिंग मशीन की जरूरत
हरीश चौहान ने बताया कि इस वर्ष भी केंद्रीय वित्त मंत्री को ईमेल के जरिए हिमाचल प्रदेश में सेब मार्केटिंग सिस्टम में सुधार की मांग भेजी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के लिए एक विशेष कृषि और बागवानी पैकेज देना चाहिए। इसके अलावा सेब की गुणवत्ता सुधारने के लिए ऑटोमेटिक ग्रेडिंग और सॉर्टिंग मशीनों की भी जरूरत है।
केंद्र से सब्सिडी आती है लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचती
प्रदेश के अन्य बागवानों का कहना है कि बागवान सब्सिडी के लिए फॉर्म तो भर देते हैं, लेकिन उन्हें समय पर इसका लाभ नहीं मिलता। एक बागवान ने बताया कि एंटी हेलनेट और अन्य उपकरणों पर सब्सिडी नहीं मिल रही है और इससे किसान परेशान हैं। केंद्र सरकार का बजट तो आता है। लेकिन छोटे किसानों और बागवानों तक इसका लाभ नहीं पहुंचता।
बागवानों का कहना है कि सरकार को ऐसी ठोस नीतियां बनानी चाहिए, जिससे सब्सिडी का लाभ सीधे किसानों को मिले और उन्हें सरकारी योजनाओं का वास्तविक फायदा हो।
किसानों-बागवानों को बजट से राहत की उम्मीद
केंद्रीय बजट से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को बड़ी राहत की उम्मीद है। वे चाहते हैं कि सरकार उनके हितों को ध्यान में रखते हुए ठोस नीतियां बनाए, जिससे उनकी लागत घटे और उन्हें अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके। अब देखना यह होगा कि 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार किसानों और बागवानों के लिए क्या खास घोषणाएं करती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा