डी टू एम प्रौद्योगिकी को लेकर आईआईटी कानपुर ने बीआईएसएजी-एन के साथ किया एमओयू

कानपुर, 03 अक्टूबर (हि.स.)। समाज के लाभ के लिए अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठाने के उद्देश्य से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है। इस साझेदारी का उद्देश्य डायरेक्ट-टू-मोबाइल (डी टू एम) तकनीक का उपयोग करके शैक्षिक सामग्री का प्रसार करने और आपदा प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण अलर्ट देने में सहयोग को बढ़ावा देना है। डी टू एम परियोजना में अग्रणी नॉलेज पार्टनर, आईआईटी कानपुर इस क्षेत्र में तकनीकी नवाचार का नेतृत्व करेगा।

इस समझौता ज्ञापन पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल और बीआईएसएजी-एन के महानिदेशक टीपी सिंह ने सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों और उद्योग जगत के लीडरों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर उपस्थित उल्लेखनीय लोगों में तेजस नेटवर्क के कार्यकारी उपाध्यक्ष पराग नाइक, शैक्षिक मीडिया पर यूजीसी समिति के सदस्य प्रो. मोहम्मद कासिम और तेजस नेटवर्क के सहायक उपाध्यक्ष प्रशांत मारु शामिल थे। यह महत्वपूर्ण साझेदारी न केवल शिक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा क्षेत्रों में व्यापक सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगी, बल्कि विभिन्न सार्वजनिक आवश्यकताओं के लिए डी टू एम प्रौद्योगिकी की उपयोगिता बढ़ाने के लिए नई तकनीकी नवाचारों की खोज में भी मदद करेगी।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने गुरुवार को बताया कि भारत के लिए डी टू एम तकनीक में परिवर्तनकारी क्षमता है। भारत जैसे विविधतापूर्ण और भौगोलिक रूप से विशाल देश में डी टू एम तकनीक शिक्षा तक समान पहुंच प्रदान कर डिजिटल विभाजन को पाट सकती है। इस नवाचार में देश के हर कोने तक पहुंचने की क्षमता है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री सीधे मोबाइल उपकरणों तक पहुंच सकती है। बीआईएसएजी-एन के महानिदेशक टीपी सिंह ने कहा कि बीआईएसएजी-एन हमेशा शिक्षा और जन कल्याण के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए उभरती हुई तकनीकों को अपनाने में सबसे आगे रहा है। डी टू एम शैक्षिक सामग्री के प्रसार के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने और आपात स्थितियों के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी के तेजी से वितरण को सुनिश्चित करने में बहुत आशाजनक है। हम आश्वासन देते हैं कि बीआईएसएजी जल्द से जल्द इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पूरा समर्थन देगा।

तेजस नेटवर्क के कार्यकारी उपाध्यक्ष पराग नाइक ने कहा कि डी टू एम की तैनाती से छात्रों, शिक्षकों और आम जनता को उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री प्रदान करने में यूजीसी के प्रयासों को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह तकनीक भारत में डिजिटल शिक्षा के परिदृश्य को बदल सकती है।आईआईटी कानपुर और बीआईएसएजी-एन की इस साझेदारी से डी टू एम प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा समाधान प्रदान करने में एक नया मानदंड स्थापित होने की उम्मीद है।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह

   

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