पानीपत: आई.बी.स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संगीत पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

पानीपत, 20 मार्च (हि.स.)।पानीपत के आई.बी.स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गुरुवार काे संगीत (गायन तथा वादन) विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी उच्चतर शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वाराअनुमोदित थी। इस संगोष्ठी में देश भर के विभिन्न राज्यों एवं विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा अपने शोध पत्रों के माध्यम से अपनी चिन्तनशीलता और सृजनशीलता का परिचय दिया। सोसायटी के महा सचिव एल एन मिगलानी व प्राचार्य डॉ शशिप्रभा मालिक ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

तत्पश्चात डॉ मोनिका सोनी ने संगोष्ठी के उद्देश्य से सबको अवगत कराया। तदोपरांत प्राचार्या डॉ शशि प्रभामलिक ने अपने संबोधन में संगीत विषय की शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्यता, राग-तालों का मानव जीवन पर प्रभाव तथा संगीत को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्वीकार करते हुए इसके आध्यात्मिक एवं मानसिक प्रभावों का वर्णन किया। संगोष्ठी की मुख्य अतिथिडॉ पंकजमाला शर्मा (संगीत विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त डीन एवंप्रोफेसर) ने अपने व्याख्यान में वैदिक साहित्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वेदों में वर्णित शिक्षण पद्धति ही सही अर्थों में भारतीय सभ्यता को सही दिशा देने में सक्षम है। वेद, संहिता, ब्राह्मण ग्रंथ तथा संगीत रत्नाकर में प्राप्त संगीत शिक्षण पद्धति, अंतर्विषयक शिक्षण पद्धति तथा शिक्षण की उपयोगिता पर उन्होंने गहनता से चर्चा की। संगोष्ठी के बीज वक्ता डॉ राजेश केलकर(महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा) ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, संगीत शास्त्र एवं प्रायोगिक पक्ष की भिन्न भिन्न शिक्षण प्रणाली आदि विषयों पर विशद विवेचन कि ।

दोनों सत्रों में 30 सेअधिक शोधार्थियों ने अपने प्रपत्र पढ़े। अंत में समापन सत्र के लिए पद्मश्री विदुषी सुमित्रा गुहा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अच्छे कलाकार बनने केलिए अच्छे गुरु के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक है तथा अन्य विषयों कीसाधारण समझ तथा ज्ञान भी आवश्यक है। । इस अवसर पर संयोजन सचिव डॉ अंजलि एवं मिस खुश्बू तथा संगीत विभाग से श्री ललित कुमार, डॉ निधान सिंह, डॉ सीमा, डॉ सुनीता ढांडा, प्रो. सोनिया, डॉ अश्विनी गुप्ता, डॉ नीतू भाटिया उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा

   

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