रोहतक: शिक्षा में एआई का समावेश केवल तकनीकी परिवर्तन नही

रोहतक, 13 मई (हि.स.)। शिक्षा में एआई का समावेश केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और मानसिक क्रांति है।

यह विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, नवाचारी और वैश्विक नागरिक बनने में सक्षम बनाएगा। यह उद्गार मंगलवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के डिजिटल लर्निंग सेंटर तथा सेंटर फॉर ऑनलाइन एंड डिस्टेंस एजुकेशन के निदेशक प्रो. नसीब सिंह गिल ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू के यूजीसी-एमएमटीटीसी द्वारा एम्पावरिंग एजुकेशन, एआई एंड डिजिटल टेक्नोलोजीज विषय पर आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में बतौर रिसोर्स पर्सन व्यक्त किए।

ऑनलाइन आयोजित इस विशेष व्याख्यान में प्रो. नसीब सिंह गिल ने एआई इन एजुकेशन एंड ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी स्किल्स फॉर फ्यूचर टीचिंग-लर्निंग विषय पर विशेष व्याख्यान दिया।

अपने प्रभावी संबोधन में उन्होंने कहा कि एआई अब केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा का आधार बन रहा है। एआई आधारित शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को नौकरी पाने योग्य ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजक बनने के लिए भी तैयार कर रही है। इससे स्टार्टअप कल्चर, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रो. नसीब सिंह गिल ने कहा कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हो चुका है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) और डिजिटल प्रौद्योगिकियों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षण की पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़ते हुए अब शिक्षा प्रणाली को इस तरह से पुनर्गठित किया जा रहा है, जिससे कि 21वीं सदी के आवश्यक कौशल- क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलाबोरेशन, कम्यूनिकेशन, डिजिटल लिटरेसी विद्यार्थियों में विकसित किए जा सकें। प्रो. गिल ने एआई संचालित लर्निंग प्लेटफार्म, एआई समर्थित शिक्षण उपकरणों, डेटा विज्ञान, कोडिंग, डिजाइन थिंकिंग, साइबर सुरक्षा जैसे भविष्य केन्द्रित पाठ्यक्रमों, राष्ट्रीय डिजिटल एजुकेशन मिशन इत्यादि बारे व्यावहारिक जानकारी साझा की।

उन्होंने अंत में प्रतिभागियों के प्रश्रों के उत्तर भी दिए। यूजीसी-एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. निहालिका अरोड़ा ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया। आभार प्रदर्शन रिफ्रेशर कोर्स कोऑर्डिनेटर डा. भावना अरोड़ा ने किया। इस रिफ्रेशर कोर्स में देशभर से 100 से ज्यादा प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिल

   

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