सोनीपत: राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी, तकनीक के युग में  भारतीय नवाचार व  अन्वेषण का उत्सव

-कर्नाटक,

उत्तर प्रदेश, भुवनेश्वर, बेंगलुरु के नन्हें वैज्ञानिकों ने बेहतर भविष्य की तकनीक

-सोनीपत, गुरुग्राम, झज्जर, फरीदाबाद,

अंबाला, पलवल और जींद जिलों के 6,900

सोनीपत, 29 दिसंबर (हि.स.)। 51वीं

राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनीके चौथे दिन सोनीपत, गुरुग्राम, झज्जर, फरीदाबाद,

अंबाला, पलवल और जींद जिलों के 6,900 विद्यार्थियों और 28 राज्यों से आए 400 युवा विज्ञान

प्रदर्शकों ने प्रतिभागिता की। आयोजन ने जिज्ञासा और वैज्ञानिक अन्वेषण का एक जीवंत

वातावरण प्रदान किया, जिसमें विद्यार्थियों कोसाइंस टॉक्सऔरनवोन्मेषी प्रदर्शनियों

के माध्यम से समृद्ध शैक्षिक अनुभव मिला।

पावर

जेनरेशन और स्मोक फिल्ट्रेशन बाय चिमनी पर उदय सिंह जैन गर्ल्स इंटर कॉलेज, अलीगढ़,

उत्तर प्रदेश त्रिप्ती शर्मा द्वारा प्रस्तुत इस परियोजना ने धुएं की ऊष्मा ऊर्जा को

बिजली में बदलने की प्रणाली का प्रदर्शन किया। इस नवाचार ने पर्यावरणीय चिंताओं का

समाधान करते हुए एक स्थायी ऊर्जा-उत्पादन विधि को प्रदर्शित किया।

पर्यावरणीय

वायु शोधक पर कथालिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, त्रिपुरा के छात्रों सुभराज देबनाथ

और देबरघा घोष द्वारा विकसित परियोजना ने घरेलू वायु शोधकों की कार्यक्षमता का अनुकरण

किया। यह सोलर पैनल द्वारा संचालित था और सक्रिय कार्बन, लैंप जैसे उन्नत फिल्टर का

उपयोग करके वायु को स्वच्छ बनाने में सक्षम था। सॉल्यूशन

का हिस्सा बनें, समस्या का नहीं गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

की प्राची द्वारा प्रस्तुत वैकल्पिक ऊर्जा समाधान के माध्यम से प्रदूषण का मुकाबला

किया गया। इसमें टेस्ला कॉइल्स का उपयोग, कचरे की ऊष्मा से बिजली उत्पादन के लिए पेल्टियर

मॉड्यूल और ध्वनि-यांत्रिक ऊर्जा का प्रयोग शामिल था।

फिंगर-फ्रेंडली

दरवाजा पर सम्भोटा तिब्बतन स्कूल, कर्नाटक के नन्हें वैज्ञानिकों तेनजिन डोधोन, तेनजिंग

डिक्की और तेनजिन त्सेपकाल द्वारा प्रस्तुत परियोजना ने दरवाजों से उंगलियों की चोटों

को रोकने के लिए फोम हिंज और समायोज्य तंत्र का उपयोग किया। यह डिजाइन बच्चों की सुरक्षा

सुनिश्चित करता है। अल्गी

से बिजली के संदर्भ में डिमॉन्स्ट्रेशन मल्टीपर्पज स्कूल, भुवनेश्वर के एस. के. सफिउर

रहमान और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत परियोजना ने शैवाल का उपयोग जैव-ईंधन में परिवर्तित

करने के लिए किया। इस प्रणाली ने स्थायी ऊर्जा समाधान में शैवाल की भूमिका को उजागर

किया।

संचार

और परिवहन पर पांच मॉडल प्रस्तुत किए गए जिसमें माइक्रोकंट्रोल्ड-आधारित प्रोस्थेटिक

आर्म को श्रीनिकेश किरण काशटवार और उनकी टीम, पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय, बेंगलुरु

द्वारा डिज़ाइन किया गया यह प्रोस्थेटिक रोबोटिक आर्म सेंसर और आर्डुइनो बोर्ड का उपयोग

करता है। इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों की सहायता करना है।

कार्बन मोनोऑक्साइड

डिटेक्टर को जुरैन नज़ीर, जी.डी. गोयनका पब्लिक स्कूल, श्रीनगर द्वारा बनाया गया यह

उपकरण हानिकारक कार्बन डाय ऑक्साइड उत्सर्जन का पता लगाकर वायु गुणवत्ता सुधार के लिए

एग्जॉस्ट फैन सक्रिय करता है।ऑटो रेस्क्यू स्मार्ट नोटिफिकेशन सिस्टम को अभिकृष्ण के.ए.,

पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, केरल द्वारा प्रस्तुत किया गया। सड़क सुरक्षा में

सुधार के लिए स्वचालित दुर्घटना पहचान और आपातकालीन सेवाओं को सूचित करने की प्रणाली

विकसित की।

स्मार्ट

रेलवे प्लेटफॉर्म को रोहित कुमार, गवर्नमेंट इंटर कॉलेज, उत्तराखंड द्वारा विकसित इस

परियोजना ने प्लेटफार्मों के बीच स्वचालित ब्रिज की सुविधा प्रदान की। यह विशेष रूप

से वृद्ध और विकलांग यात्रियों के लिए सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करता है।

नाेल्वास

फाइव-इन-वन ट्रक अहमद निब्रास ई.ए. और मोहम्मद शमिल सिदीक, जी.एच.एस.एस., केरल द्वारा

प्रदर्शित इस बहुउद्देश्यीय ट्रक ने पांच वाहनों को एक में संयोजित किया। यह खुदाई,

क्रेन, डंप ट्रक, पेड़ काटने वाली मशीन और पानी के छिड़काव के रूप में काम करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना

   

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