‘इन्फैंटिया’ ने की डिजिटल युग में बच्चों के अधिकारों पर राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत

गुवाहाटी में आयोजित ‘इन्फैंटिया’ कार्यक्रम में उपस्थित लोग।

गुवाहाटी, 7 अप्रैल (हि.स.)। असम पुलिस ने शिशु मित्र कार्यक्रम के माध्यम से पीआईआईआर फाउंडेशन और यूनिसेफ इंडिया के सहयोग से गुवाहाटी स्थित एक होटल में सोमवार को डिजिटल युग में बच्चों के अधिकारों पर भारत का पहला राष्ट्रीय संवाद इन्फैंटिया आयोजित किया।इस सम्मेलन में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा सहि विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस मौके पर असम के पुलिस महानिदेशक हरमीत सिंह ने कहा कि हमें इंटरनेट के कई लाभों का लाभ उठाने की आवश्यकता है, साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके खतरे हमारे बच्चों को प्रभावित न करें। उन्होंने एक ओर माता-पिता और शिक्षकों के बीच तथा दूसरी ओर बच्चों के बीच विश्वास-आधारित संचार के निर्माण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और युवाओं के बीच विश्वास खुले संचार का आधार है और यही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास बच्चों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा के लिए एक गंभीर बातचीत शुरू करना है। उन्होंने दर्शकों के प्रत्येक सदस्य से अपने घरों, स्कूलों, समुदायों और पूरे समाज में इस संवाद को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में अभिनेत्री और पेरेंटिंग इन्फ्लुएंसर नेहा धूपिया ने अपने फायरसाइड चैट के माध्यम से संवाद में गर्मजोशी, प्रामाणिकता और दृढ़ विश्वास पैदा किया। डिजिटल दुनिया में एक मां के रूप में अपनी यात्रा से प्रेरणा लेते हुए नेहा ने आधुनिक माता-पिता द्वारा अपने बच्चों के जीवन को ऑनलाइन साझा करने के लिए सामना किए जाने वाले दबावों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे असम पुलिस का #DontBeASharent अभियान जिम्मेदार डिजिटल पेरेंटिंग के बारे में एक बहुत जरूरी वैश्विक बातचीत को बढ़ावा देने में सहायक रहा है। नेहा ने कहा, आपके बच्चे के बारे में सब कुछ ऑनलाइन पोस्ट करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने ओवरशेयरिंग की बढ़ती संस्कृति और बच्चों की डिजिटल गरिमा की रक्षा करने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया। नेहा ने कहानी को बदलने और बच्चों के अधिकारों, सहमति और गोपनीयता को डिजिटल पेरेंटिंग के केंद्र में रखने की पहल की प्रशंसा की। प्रसिद्ध असमिया अभिनेता कोपिल बोरा और अभिनेत्री ज़ेरिफ़ा वाहिद ने भी एक मार्मिक प्रस्तुति की, जिसमें आधुनिक समय के पालन-पोषण के भावनात्मक परिदृश्य को दर्शाया गया। पीआईआईआर फ़ाउंडेशन के संस्थापक सालिक खान ने भारतीय बच्चों के इंटरनेट अनुभव की वास्तविकताओं को उजागर करते हुए अक्सर सीमित मार्गदर्शन या सुरक्षा के साथ नया शोध प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय

   

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