पहलः विद्यार्थियों को काशी की शास्त्रार्थ परंपरा में बनाया जाएगा दक्ष

—बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ने शास्त्रार्थ सभा शुरू किया

वाराणसी,18 अक्टूबर (हि.स.)। धर्म नगरी काशी की शास्‍त्रार्थ परम्‍परा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ने पहल की है। बीएचयू के संस्थापक महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय की संकल्‍पना के अनुसार संकाय में नियमित रूप से छात्रों को काशी की शास्‍त्रार्थ परम्‍परा में दक्ष बनाने की दृष्टि से प्रशि‍क्षण एवं शास्‍त्रार्थ सभाएं आयोजित हो रही है। शुक्रवार को संकाय के मुख्‍य सभागार में आयोजित 'शास्‍त्रार्थ सभा' में न्‍याय, व्‍याकरण, मीमांसा एवं वेदान्‍त विषय में विश्‍वविद्यालय के साथ-साथ वाराणसी के अन्‍य शैक्षणिक संस्‍थाओं के छात्रों ने भी भाग लिया।

विश्‍वविद्यालय के छात्र रामकृष्‍ण मिश्र ने 'ब्रह्म की सत्ता' का अद्वैतवेदान्‍त के सिद्धान्‍तों के अनुसार बताया कि यह समस्‍त संसार परमात्‍मा पर आश्रित है । तथा उसी की सत्ता से संसार की सत्ता प्रतीत होती है। न्‍याय शास्‍त्र के अतिदुरूह विषय हेत्‍वाभास पर चर्चा करते हुए कर्नाटक से आये 14 वर्षीय छात्र सात्विक जाडियाल ने 'अनुमिति' पद के विभिन्‍न अर्थों को बताया। और पश्चिम बंगाल परम्‍परा के गदाधर भट्टाचार्य के सिद्धान्‍तों का समर्थन किया।

नेपाल से अध्ययन के लिए काशी आये वसन्‍त सुवेदी, अभिषेक सुवेदी ने व्‍याकरणशास्‍त्र के सूत्रों का विभिन्‍न व्‍याख्‍या ग्रन्‍थों के अनुसार प्रतिपादन किया। सभा में बतौर मुख्य अतिथि काशी के अन्‍नपूर्णा मठ-मन्दिर के महन्‍त स्‍वामी शंकरपुरी महाराज ने काशी के शास्‍त्रार्थ परम्‍परा के विशेषता को बताया।

इसके संरक्षण एवं संवर्धन पर बल दिया।

समारोह की अध्‍यक्षता प्रो. राजाराम शुक्‍ल (संकायप्रमुख) ने किया। संचालन शोध छात्र अमित कुमार उपाध्‍याय, धन्‍यवाद ज्ञापन प्रो. रमाकान्‍त पाण्‍डेय (व्‍याकरण विभागाध्‍यक्ष) ने किया। सभा में काशी तथा अन्‍य संस्‍थाओं से लगभग 100 से अधिक छात्रों के अलावा विद्वानों में प्रो. रामनारायण द्विवेदी, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, डॉ. नारायण प्रसाद भट्टराई, डॉ. श्रीराम ए.एस. आदि ने भी भागीदारी की।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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