
जयपुर, 19 मार्च (हि.स.)। चिकित्सा विभाग का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम उन बच्चों के लिए वरदान सरीखा साबित हुआ है जो पैदाइश से ही विभिन्न शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे थे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रयासों की वजह से न केवल इन बच्चों का इलाज निशुल्क किया गया बल्कि उनके स्वस्थ और खुशहाल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हंसराज भदालिया ने बताया कि हाल ही में सात वर्षीया दिव्या चौधरी को जन्मजात ह्रदय रोग से मुक्ति मिली है। दूदू स्थित श्योसिंहपुरा बासड़ा निवासी और पेशे से मजदूरी करने वाले पिता मुकेश चौधरी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। बेबी दिव्या जन्म के बाद से ही अस्वस्थ रहने लगी थी। वह तीन वर्ष की थी, जब उसकी बीमारी के विषय मे पता लगा। पिता मुकेश ने उसे लेकर अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन बात नही बनी क्योंकि ऑपरेशन में आने वाला खर्च बहुत अधिक था।
गत एक वर्ष पूर्व जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की मोबाईल हैल्थ टीम बी (दूदू) आंगनवाड़ी केंद्र श्योसिंहपुरा बासड़ा में बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए आई तो वहां उन्हें परीक्षण के दौरान दिव्या को चिन्हित किया। मोबाईल हैल्थ टीम के डॉ. सुरेश गौतम और फार्मासिस्ट अश्विनी दाधीच ने उसे मानसरोवर स्थित प्रियंका अस्पताल रैफर कर दिया। टीम ने पिता मुकेश को हिम्मत बधाई और समस्त इलाज निशुल्क होने के विषय में बताया।
प्रियंका अस्पताल में गत 16 फरवरी,25 को दिव्या को भर्ती किया गया और 17 फरवरी को डॉ. अभिमन्यु उप्पल और उनकी टीम ने बेबी दिव्या का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन सफल रहा और मासूम दिव्या को जन्मजात हृदय रोग की तकलीफ से मुक्ति मिल गईं। चिकित्सकों की देखरेख में रहने के बाद गत 18 फरवरी को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आज दिव्या पूर्ण स्वस्थ है और पिता मुकेश की ख़ुशी का आज कोई ठिकाना नहीं है। वह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, चिकित्सकों और राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञ है, जिनके प्रयासों की वजह से उनकी बच्ची का ऑपरेशन निःशुल्क हुआ और उसे एक गंभीर रोग से मुक्ति मिल गई। इसमें सीएमएचओ डॉ. हंसराज भदालिया, बीसीएमओ डॉ. कविता मीणा, एडीएनओ डॉ. दिलीप शर्मा और आरबीएसके मोबाईल हेल्थ टीम का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश