मानवता की लड़ाई! देवभूमि से उठेगी मानवाधिकारों की हुंकार, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ गूंजेगी आवाज
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- Dec 09, 2024
- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर देहरादून में निकलेगी रैली - बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ आक्रोश मार्च देहरादून, 09 दिसंबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर देहरादून की सड़कों पर मानवता की आवाज बुलंद होगी। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों के खिलाफ शहर के प्रमुख सामाजिक संगठनों और प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा एक आक्रोश मार्च का आयोजन किया जाएगा। यह मार्च न केवल पीड़ितों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति प्रकट करेगा, बल्कि दुनिया को एक संदेश देगा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए भारत सदैव खड़ा रहेगा। रैली में सामाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारिक संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों का भारी समर्थन देखने को मिलेगा। आयोजकों का कहना है कि यह रैली केवल विरोध का माध्यम नहीं, बल्कि एक संदेश है कि मानवता के खिलाफ किसी भी तरह का अत्याचार अस्वीकार्य है। इस ऐतिहासिक रैली से यह संदेश जाएगा कि उत्तराखंड मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। यह आयोजन न केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए समर्थन का प्रतीक बनेगा, बल्कि मानवता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण भी होगा।
बेगुनाहों की पीड़ा को आवाज देगा हिंदूओं का आक्रोश आयोजन समिति ने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, हिंसा और झूठे मुकदमों की घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। हाल ही में बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े संतों और कार्यकर्ताओं पर हुए हमलों ने इस विषय को और गंभीर बना दिया है। दून उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन नागलिया ने कहा कि हमारा आक्रोश उन बेगुनाहों की पीड़ा को आवाज देगा जिनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही।
रैली के मुख्य उद्देश्य और मांगे रैली का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं- बांग्लादेश सरकार तुरंत अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और उत्पीड़न रोके। मानवाधिकार उल्लंघनों की स्वतंत्र जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष कानून लागू किए जाएं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र इस गंभीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करें।
जन-जन का आह्वानरैली के आयोजकों ने प्रदेश की जनता से इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है। आयोजन समिति का कहना है कि यह केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की लड़ाई नहीं, बल्कि मानवता के लिए संघर्ष है।
संवेदनशील मुद्दों पर जागरूकतारैली के आयोजकों ने यह भी बताया कि आयोजन स्थल पर मानवाधिकार संरक्षण के तरीकों पर एक जागरूकता सत्र भी होगा। इसमें प्रतिभागियों को बताया जाएगा कि कैसे वे स्थानीय और वैश्विक स्तर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए कार्य कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच तक जाएगी मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाजरैली देहरादून के घंटाघर से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए एक विशाल जनसभा में तब्दील होगी। इस दौरान वक्ता मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपने विचार साझा करेंगे और एकजुटता की अपील करेंगे। रैली को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा और आयोजन स्थल पर स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाएगा। रैली के आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में मानवाधिकार हनन के खिलाफ यह आवाज सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय मंच तक जाएगी। उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे रैली में शामिल होकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई में योगदान दें।
भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपीलआयोजकों ने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार के खिलाफ कार्रवाई करें। उनका कहना है कि भारत ने बांग्लादेश के लाखों नागरिकों को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुरक्षा और सहयोग दिया, लेकिन आज वही देश अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण