युवाओं में शारीरिक व मानसिक कौशल को भी विकसित करना जरूरी:नरसी राम बिश्नोई

विश्व में सफलता के लिए आत्मा के ज्ञान को पहचानना जरूरी : स्वामी शेलेन्द्र सरस्वती‘सम्पूर्ण कल्याण के लिए ध्यान के क्षण’ विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला शुरूहिसार, 10 फरवरी (हि.स.)। यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि भारत में ध्यान व आध्यात्म की गौरवशाली प्राचीन परम्परा है। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है तो युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक कौशल को भी विकसित करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी अध्यात्म और ध्यान के महत्व को प्रोत्साहित करती है। इस शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल सूचना देना ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों का समग्र विकास करना है। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई सोमवार को विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के द्वारा वैदिक लाइफ फाउंडेशन के सहयोग से ‘सम्पूर्ण कल्याण के लिए ध्यान के क्षण’ विषय पर चौधरी रणबीर सिंह सभागार में हुए पांच दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कुलपति ने कहा कि विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। विज्ञान जहां तकनीकी कौशल सिखाता है, वहीं आध्यात्म मनुष्य के जीवन को शांत और बेहतर बनाकर सीखे गए तकनीकी कौशल को समाज व राष्ट्र की भलाई में लगाने के लिए सही राह दिखाता है। वर्तमान भौतिकवादी युग में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। तनाव रहित जीवन ही उपयोगी मानव संसाधन बन सकता है। आध्यात्म तनाव को समाप्त करने का सबसे उपयोगी माध्यम है। हमारे वेदों में ध्यान और आत्म चिंतन को जीवन का आधार बताया गया है। ध्यान के माध्यम से विद्यार्थी अपनी असीम ऊर्जा को पहचान सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश के सतत विकास में मानव संसाधन के विकास का अहम रोल होता है। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना आवश्यक कर दिया गया है। शिक्षकों व कर्मचारियों को भी इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। कार्यशाला में मुख्य वक्ता विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक व्यक्तित्व स्वामी शेलेन्द्रा सरस्वती ने कहा कि विश्व में सफलता के लिए आत्मा के ज्ञान को पहचानना जरूरी है। जैसे फल पाने के लिए पहले पेड़ की देखभाल करना आवश्यक है। वैदिक लाइफ फाउंडेशन के सदस्य शक्ति अय्यर ने पांच दिवसीय कार्यशाला की रूप रेखा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पांच दिन में होने वाली इस कार्यशाला के सभी सत्रों के बारे में बताया। डीन एफईटी प्रो. संदीप के. आर्य ने अपने स्वागत सम्बोधन में शरीर के पांच तत्वों भूमि, जल, वायु, आकाश व अग्नि के बारे में बताया। उन्होंने मानसिक ऊर्जा के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। विभागाध्यक्ष सुमन दहिया ने बताया कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों व विभाग के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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